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कोरोना काल में सरकर ने की जबरदस्त कमाई, इंदौर ने दिए 6500 करोड़

इंदौर। कोरोना संक्रमण के काल में जहां सारी दुनिया रुक सी गई है और कमाने के कोई साधन नजर नहीं दिख रहे, उस दौर में भी इंदौर सहित प्रदेश के टैक्सपेयर्स ने सरकार की जमकर कमाई कराई है। 2019-20 वित्तीय साल में केवल दस महीने का बिजनेस हुआ, क्योंकि दो महीन से ज्यादा तो सख्त लॉकडाउन लगा था।

ऐसे में भी कारोबारियों ने पिछले वित्तीय साल की तुलना में 6192 करोड़ का अधिक राजस्व दिया है। इसमें हजार करोड़ का योगदान अकेले इंदौर का है। साल 2018-19 में कुल राजस्व 36 हजार 391 करोड़ आया था। वहीं साल 2019-20 के दौरान 42 हजार 583 करोड़ रुपए का राजस्व जमा हुआ।

इंदौर ने तोड़े कई रिकॉर्ड
इंदौर ने कई रिकॉर्ड तोड़े। 2019-20 वित्तीय साल में साढ़े छह हजार करोड़ का राजस्व इंदौर के कारोबारियों ने जमा किया, जो इसके पहले करीब साढ़े पांच हजार करोड़ के करीब था। वहीं, पंजीयन विभाग में एक लाख सात हजार से अधिक सौदे रजिस्टर्ड हुए और 13 हजार करोड़ से अधिक की संपत्तियों की खरीदी-बिक्री की गई।


कारोबारियों के जागरूक होने से बढ़ा टैक्स
स्टेट टैक्स कमिश्नर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरिम आंकड़ों के अनुसार टैक्स में बीते साल से 17 फीसदी की बढ़ोतरी है। रिटर्न व टैक्स भरने में कारोबारियों की जागरूकता से यह हुआ है। राजस्व में इस बार केंद्र से भी राज्य को कंपनसेशन मिला।

पानी के बिल और कई यूजर चार्जेस पर असमंजस
इधर पानी के बिल को लेकर असमंजस की स्थिति है। इंदौर नगर निगम में पानी का बिल दोगुना करने के विवाद के बाद सरकार ने यूजर चार्जेस की वृद्धि पर रोक लगाई है, उसे वापस नहीं लिया है। प्रॉपर्टी टैक्स का नोटिफिकेशन बरकरार है, यानी प्रॉपर्टी टैक्स तो अधिक चुकाना ही होगा। जानकारी के मुताबिक, राज्य शासन ने पिछले साल सितंबर में प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य यूजर चार्जेस को लेकर दो अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किए थे। प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़ने और इसमें अधिकतम दस फीसदी वृद्धि करने की बात कही गई थी।

यूजर चार्जेस यानी पानी सप्लाई और सफाई व्यवस्था व सीवेज आदि पर होने वाले खर्च की नागरिकों से शत प्रतिशत वसूली के लिए अलग नोटिफिकेशन जारी किया गया था। यूजर चार्जेस में वृद्धि के इस नोटिफिकेशन में स्पष्ट लिखा है कि यदि शत प्रतिशत खर्च वसूलने के लिए यूजर चार्जेस की वृद्धि दोगुनी से अधिक हो रही हो तो उसे चरणबद्ध तरीके से तीन साल में लागू किया जाना है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि नोटिफिकेशन निकाय को दोगुनी वृद्धि की छूट देता है।

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