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आसमान छूती महंगाई के बीच राहत की उम्मीद, घी-मक्खन के दाम हो सकते हैं कम

नई दिल्ली (New Delhi)। टमाटर (Tomato) और अन्य हरी सब्जियों (green vegetables) की आसमान छूती कीमतों (skyrocketing prices) से परेशान आम आदमी को आने वाले दिनों में राहत भरी खबर मिल सकती है। उम्मीद है कि सरकार आने वाले दिनों में घी और मक्खन की कीमतों (ghee and butter prices) में कमी करने जा रही है। दरअसल सरकार घी और मक्खन पर माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी (GST) की दरें कम करने का प्रस्ताव देने वाली है। संभावना है सरकार जल्दी ही ऐसा प्रस्ताव रख सकती है। फिलहाल घी और मक्खन दोनों पर 12 फीसद की दर से जीएसटी लगता है। केंद्र सरकार इसे घटाकर पांच फीसद करने का प्रस्ताव दे सकती है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि आम जनता महंगाई से त्रस्त है। पिछले डेढ़ साल से खुदरा महंगाई की दर ज्यादा बनी हुई थी। अभी यह नियंत्रण में आ ही रही थी कि टमाटर और हरी सब्जियों के भाव में तेजी आ गई। इसके अलावा दूध की कीमतें लगातार बढ़ी हैं। पिछले एक साल में दूध 10.1 फीसद और 3 साल में 21.9 फीसद महंगा हुआ है। इसने भी आम लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ा है।


सूत्रों के मुताबिक पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सरकार से घी और मक्खन पर जीएसटी कम करने का अनुरोध किया है। विभाग ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह इसे लेकर जीएसटी फिटमेंट कमिटी के सामने प्रस्ताव रखे। उसके बाद प्रस्ताव को जीएसटी परिषद के सामने रखा जा सकता है, जो जीएसटी की दरों में बदलाव पर निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई है। अपने प्रस्‍ताव में डेयरी विभाग ने कहा है कि अगर आप घी को लग्‍जरी प्रोडक्‍ट की कैटेगरी में रखते हैं और इस पर 12 फीसद जीएसटी स्‍लैब लगाते हैं तो इसका नुकसान उपभोक्‍ताओं के साथ किसानों को भी होगा।

तेल पर है कम जीएसटी
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्‍यक्ष रुपिंदर सिंह सोढ़ी के मुताबिक पाम का तेल बाहर से आयात किया जाता है, लेकिन उसपर सिर्फ पांच फीसद ही जीएसटी लगती है, लेकिन घी और मक्खन पर 12 फीसद जीएसटी देय होती है। सोढ़ी ने बताया कि घी पर 12 फीसद जीएसटी लगाने का मतलब है प्रति किलोग्राम पर 70 रुपये की बढ़ोतरी। एक किलो घी बनाने में 12 से 14 लीटर दूध लगता है। इससे किसानों को पांच से छह रुपये ज्‍यादा कमाने का मौका तो मिलता है, लेकिन बाद में उन्‍हें 12 फीसद जीएसटी की वजह से महंगा घी खरीदना पड़ता है। इस तरह देखा जाए तो सरकार न सिर्फ उपभोक्‍ताओं पर टैक्‍स लगा रही, बल्कि किसानों पर भी इसका असर पड़ता है।

पहले भी भेजा था प्रस्‍ताव:
जीएसटी परिषद को पिछले साल भी पैकेज्‍ड मिल्‍क प्रोडक्‍ट जैसे पनीर, दही, लस्‍सी और छाछ पर 5 फीसद टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव भेजा था. अभी इस पर 12 फीसद की दर से जीएसटी वसूला जा रहा है. सोढ़ी का कहना है कि घी और बटर पर कुकिंग ऑयल जितना ही जीएसटी लगना चाहिए।

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