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वित्त मंत्री ने ओमिक्रोन संकट से निपटने को लेकर बैंकों की तैयारियों का लिया जायजा

-सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कोरोना प्रभावित क्षेत्रों की मदद करने को कहा

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों (public sector bank heads) के साथ शुक्रवार को एक बैठक की। सीतारमण ने इस बैठक में कोविड-19 वायरस के ओमिक्रोन स्वरूप (Omicron form of Covid-19 virus) के कारण संभावित व्यवधानों से निपटने के लिए बैंकों की तैयारियों का आकलन किया। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी।

वित्त मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चैयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में सीतारमण ने सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए किए गए उपायों के क्रियान्वयन को लेकर बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की।


मंत्रालय ने कहा कि वित्त मंत्री ने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों के कारण भविष्य में हो सकने वाले व्यवधानों से निपटने के लिए बैंकों की तैयारी का जायजा भी लिया। वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में निर्मला सीतारमण ने कृषि, खुदरा और एमएसएमई के साथ ही कोविड-19 के चलते व्यवधान का सामना करने वाले क्षेत्रों को समर्थन बढ़ाने को कहा।

वित्त मंत्री ने सरकार द्वारा बैंकों को दी गई ऋण गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) को मिली सफलता की तारीफ करते हुए कहा कि अभी आराम करने का वक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें उन क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए प्रयास जारी रखना चाहिए, जो कोविड-19 महामारी के चलते लगातार व्यवधान का सामना कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि लोगों के सीधे संपर्क में आने वाले व्यवसायों को अधिक मदद की जरूरत हो सकती है।

मंत्रालय के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अक्टूबर 2021 में शुरू किए गए ऋण वितरण कार्यक्रम के तहत कुल 61,268 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए हैं। खासकर एमएसएमई क्षेत्र की मदद के लिए मई 2020 में घोषित ईसीएलजीएस की 4.5 लाख करोड़ रुपये की विस्तारित सीमा में से 64.4 फीसदी यानी 2.9 लाख करोड़ रुपये के कर्ज नवंबर 2021 तक स्वीकृत हो चुके थे। ईसीएलजीएस के जरिए 13.5 लाख से अधिक छोटी इकाइयां महामारी की मार से बची जबकि 1.8 लाख करोड़ रुपये के एमएसएमई ऋण को एनपीए बनने से रोका गया और करीब 6 करोड़ परिवारों की आजीविका बच सकी। (एजेंसी, हि.स.)

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