जबलपुर न्यूज़ (Jabalpur News)

आयुष्मान घोटाले के मास्टरमाइंड पाठक दम्पत्ति पर एफआईआर दर्ज , पुलिस ने किया गिरफ्तार

  • अस्पताल की आड़ में होटल से मिलती रही फजऱ्ीवाड़े की संजीवनी! अस्पताल का पंजीयन निरस्त , होटल भी सील

जबलपुर। जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम एवं पुलिस विभाग द्वारा शुक्रवार को संयुक्त रूप से सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल के बाजू में स्थित होटल बेगा इन में दबिश दी गई। जहां होटल के प्रथम तल द्वितीय तल के हॉल में एवं तृतीय तल के कमरों में आयुष्मान कार्डधारी सैंकडों मरीजों को फर्जी तरीके से भर्ती किया गया था। जिसके बाद पुलिस ने हॉस्पिटल संचालक और होटल संचालक के ऊपर मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है। रविवार को पुलिस ने सैंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल के डाँ. अश्विनी कुमार पाठक उम्र 58 वर्ष एवं हॉस्पिटल की संचालिका दुहिता पाठक पति डॉ. अश्वनी कुमार पाठक उम्र 48 वर्ष निवासी 1572 राईट टाउन को अभिरक्षा में लिया गया।
थाना लार्डगंज ने रविवार को डाक्टर धीरज दबडे द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी का लिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमे लेख है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर द्वारा स्वयं के नेतृत्व में (1) डाँ. धीरज दबडे नोडल अधिकारी आयुष्मान स्थानीय कार्यालय जबलपुर, डाँ. पंकज ग्रोवर आरएमओ जिला चिकित्सालय जबलपुर, डाँ. आदर्श विश्नोई नोडल अधिकारी नर्सिंग होम स्थानीय कार्यालय जबलपुर एवं भुवनमोहन साहू डिस्ट्रिक आयुष्मान को आडिनेटर की टीम गठित कर 26 अगस्त को रात्रि 9.30 बजे सेन्ट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल राईट टाउन के समीप स्थित होटल वेगा का निरीक्षण किया गया । सेन्ट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल का रजिस्ट्रेशन क्रं. 479 है तथा अस्पताल की संचालिका दुहिता पाठक हैं तथा आनलाईन अस्पताल के आवेदन के अनुसार अस्पताल के रजिस्ट्रर्ड रेसिडेंट मेडिकल प्रेक्टीशनर डाँ. अश्विनी पाठक हैं । डां. पंकज ग्रोवर आरएमओ की प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार – होटल वेगा का प्रथम तल (एचडीयू) के रूप में संचालित था जिसमें 12 मरीज आयुष्मान योजनान्तर्गत भर्ती थे, जिनमें से दो संदिग्ध मरीजों की प्राथमिक जांच कर, विडियो बनाकर जानकारी ली गई।

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फर्जी तरीके से करते थे भर्ती
भर्ती मरीज एलियन बाई के द्वारा बताया गया कि उसे 25 अगस्त को उल्टी दस्त एव पेट दर्द के कारण भर्ती किया गया है, जबकि आयुष्मान में के अंतर्गत भर्ती बताया गया है । मरीज मधु बाई के द्वारा बताया गया कि उनको 24 अगस्त बुधवार को पेट दर्द एवं उल्टी के कारण भर्ती किया गया है जबकि आयुष्मान में के अंतर्गत भर्ती बताया गया है । मरीज से संबंधित फाईल मांगने पर उक्त मरीज की फाईल उपलब्ध नहीं कराई गई है । डॉ. आदर्श विश्नोई नोडल अधिकारी नर्सिंग होम की प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार होटल वेगा में द्वितीय तल में भर्ती 8 मरीज आयुष्मान योजनान्तर्गत भर्ती थे, जिसमें से दो संदिग्ध मरीजों से बात कर उनका विडियो बनाया गया । भर्ती मरीज श्री गुड्डा ठाकुर द्वारा बताया गया कि उनको मामूली पेट दर्द एवं पसली दर्द होने पर 25 अगस्त को भर्ती किया गया है । मरीज के अनुसार उसको कोई उल्टी-दस्त एवं बेहोशी नहीं हुई है और न ही किसी जगह से रक्त स्त्राव हुआ जबकि हास्पिटल से प्राप्त मरीज की फाईल अनुसार उसके डायग्नोसिस था , इसके अनुसार मरीज को गंभीरता साथ बेहोश होना बताया गया है एवं डाँ. एस भगत द्वारा देखा गया है, लेकिन मरीज के अनुसार उसे किसी भी डाक्टर द्वारा नहीं देखा गया है । मरीज के फाईल के अनुसार उसे 24 अगस्त को भर्ती बताया है एवं उसका ट्रिटमेन्ट चार्ट बनाया गया । ट्रिटमेन्ट चार्ट के अनुसार मरीज को लगभग दिन में 5-6 आईव्ही फ्लूड लगाने का उल्लेख है लेकिन मरीज से पूछने पर उसने बताया, कि उसे एक ही बाटल अभी तक लगी है। मरीज महेन्द्र नायक रैकवार निवासी गढ़ा फाटक उम्र लगभग 65 वर्ष के द्वारा बताया गया कि वह 23 अगस्त को भर्ती हुआ है, उसेें पेट में दर्द एवं गैस की शिकायत थी एवं बीपी-शुगर की कोई समस्या नहीं थी, वह आयुष्मान कार्डधारक है और पहली बार भर्ती हुआ है । उक्त मरीज की फाईल के अवलोकन पर उसे बढ़े हुये बीपी, सिर दर्द, हाथ-पैर दर्द, उल्टी, चक्कर के साथ भर्ती किया गया है । उस समय उनका बीपी 230/130 अंकित किया गया है । मरीज को इन चार दिन में लगभग 12 आईव्ही फ्लूड लगने का उल्लेख है, लेकिन मरीज से पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें चार दिन में अभी तक एक बाटल लगी है।

नियमों की उड़ाई धज्जियां
होटल का उपयोग अवैधानिक रूप से हास्पिटल के रूप में किया जा रहा था । जिसका कोई भी पंजीयन म.प्र. रूजोपचार्य गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 के अंतर्गत नहीं कराया गया था , साथ ही उक्त स्थान पर बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के नियमों का पालन भी नहीं किया गया था ।मरीजों की फाईल में लगी हुई पैथालाजी रिपोर्ट में लेब डायरेक्टर के रूप में डाँ. वंदना खन्ना डीसीपी के डिजीटल साईन लगाये गये हैं । हस्ताक्षर के संबंध में कार्यालय द्वारा जानकारी ली गई, तो डां. वंदना खन्ना द्वारा लिखित में पत्र प्रेषित किया गया है जिसमें उन्होंने उक्त लेब से संबंधित होने से इंकार किया है । अर्थात यह रिपोर्ट भी फर्जी/कूटरचित मानी जावेगी ।

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