हिंदु पंचांग के अनुसार महीने की प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) में भगवान शिव की पूजा की जाती है, क्योंकि प्रदोष व्रत देवो के देव महादेव (Shiva) को समर्पित होता है। आज 5 अगस्त को सावन मास का पहला प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। सावन मास भी भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस लिए आज के प्रदोष व्रत का महत्व बहुत अधिक होता है। आज गुरुवार (Thursday) है। इस लिए आज के दिन पड़ने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत कहते है। मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत को शिव पूजा करने से कुंडली का गुरु दोष भी दूर होता है।
मान्यता है कि सावन (Monsoon) के प्रदोष व्रत को महादेव की विधि पूर्वक उपासना करने से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। इससे उनकी कृपा भक्तों पर होती है। उनकी कृपा से भक्तों के मान-सम्मान और पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और भोलेनाथ अपने भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। गुरू प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।
प्रदोष व्रत का शुभ समय और विशेष संयोग
पंचांग के अनुसार, सावन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 अगस्त को शाम 05 बजकर 9 मिनट से शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 6 अगस्त की शाम 6 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार, आज गुरु प्रदोष व्रत के दिन हर्षण योग भी बन रहा है।
यह हर्षण योग 6 अगस्त की सुबह 1 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि हर्षण योग में जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं उन सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग शुभ मुहूर्त में गिना जाता है।
भगवान शिव की ऐसे करें पूजा
प्रदोष व्रत में भगवान शिव का अभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व बताया गया है। प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ को गुलाल, चंदन, अबीर, अक्षत, फूल, धतूरा, बेलपत्र, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल आदि चढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही शिव मंत्र, शिव आरती और शिव मंत्रों (shiva mantras) का जाप करना चाहिए। व्रत में स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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