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इस साल अप्रैल में पहला सूर्य ग्रहण, जानें 2022 में होने वाली आकाशीय घटनाएं

नई दिल्ली। आकाश एक अनसुलझी पहली है. समय समय पर यहां घटित होने वाली बहुत सी आकाशीय घटनाए (Celestial Events), जैसे उल्का पिंड का गिरना(meteorite fall), वर्षा(Rain), ग्रहण और अन्य ग्रहों की गतिविधां हमारे सामने आती रहती है. आज हम आपको यहां इस साल 2022 में होने वाले कुछ आकाशीय घटनाओं के बारे में जानकारी देंगे जिनकी शुरुआत आने वाले कुछ महीनों में हो जाएगी. कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें आप अपने देश में भी देख सकते हैं लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जो आकाश में तो घटित होंगी लेकिन उन्हें अपने देश से नहीं देखा जा सकता और न ही भारत पर इनका असर पड़ेगा.



साल 2022 का सबसे पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल को पड़ेगा. हालांकि यह सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2022 Date) आंशिक होगा और इसका भारत पर किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही इसे अपने देश से देखा भी नहीं जा सकेगा. कोलकाता में एमपी बिड़ला तारामंडल के पूर्व निदेशक देबिप्रसाद दुआरी ने कहा कि यह आंशिक सूर्य ग्रहण ज्यादातक दक्षिण अमेरिका और अर्जेंटीना से दिखाई देगा.
इस साल का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) 16 मई को पड़ेगा. सूर्य ग्रहण की ही तरह चंद्र ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा क्योंकि भारत में चंद्रमा के उगने से पहले ही चंद्र ग्रहण खत्म हो जाएगा.
इस साल एक सुपर मून (Super Moon) भी भारत में दिखाई देगा. यह सुपर मून 14 जून को शाम करीब 5.22 मिनट पर दिखाई देगा. उस दौरान चंद्रमा अपने पूरे आकार में होगा यानि पूर्णिमा होगी और यह प्रथ्वी के सबसे नजदीक होगा. चंद्रमा का एक बार फिर से ऐसा पूर्णिमा रूप 14 जुलाई को मध्यरात्रि के ठीक बाद दिखाई देगा.
भारत में दोबारा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को दिखाई देगा, यह भी एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. इसकी वजह से जम्मू कश्मीर में 55 से 60 प्रतिशत तक धंध देखी जा सकती है. दूसरे आंशिक सूर्य ग्रहण को उत्तर भारत में 35 प्रतिशत तक अस्पष्ट तौर पर और मध्य भारत में इसे 22 प्रतिशत अस्पष्टता के साथ देखा जा सकता है.चंद्र ग्रहण (Second Lunar Eclipse 2022): साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को पडे़गा. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लिए पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा लेकिन शेष भारत के लिए यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा.
22 और 23 अप्रैल को कॉमेट सी/1861 जी1 थैचर द्वारा निर्मित लिरिड्स उल्का वर्षा को देखा जा सकता है. 6 और 7 मई को धूमकेतु हैली द्वारा छोड़े गए धूल के कणों द्वारा उत्पादित एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार के रूप में देखा जा सकता है. बता दें कि एक उल्का बौछार या फिर उल्का वर्षा तब होती है जब प्रथ्वी धूमकेतू या फिर क्षुद्रग्रह द्वारा बहाए गए मलबे से गुजरती है.
लियोनिड्स उल्का वर्षा ( Leonids meteor shower) धूमकेतु टेम्पल टटल द्वारा निर्मित लियोनिड्स उल्का वर्षा को 17 और 18 नवंबर को देखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त जेमिनिड्स उल्का वर्षा को 13 और 14 नवंबर को देखा जा सकता है जो कि क्षुद्रग्रह 3200 फेथॉन के मलबे से निर्मित है.
बुध हमारे सौर मंडल में सबसे अद्रश्य ग्रह है क्योंकि यह सूर्य से दूर कभी नहीं जाता यानि यह सूर्य के काफी नजदीक रहने वाला ग्रह है लेकिन 16 फरवरी को यह ग्रह अधिक बढ़ाव पर होगा इसका मतलब है कि सूर्य अपनी स्थिति से एक तरफ झूल जाएगा जिसे सूर्योदय से ठीक पहले देखा जा सकता है.

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