ब्‍लॉगर

पहली बार चंडीगढ़ से दुनिया देखेगी हवा में भारत की ताकत

– योगेश कुमार गोयल

भारतीय वायुसेना 08 अक्टूबर को अपना 90वां स्थापना दिवस मनाएगी। प्रतिवर्ष इस विशेष अवसर पर हिंडन एयरबेस में भव्य एयर शो का आयोजन किया जाता रहा है। इस बार वायुसेना दिवस समारोह चंडीगढ़ में होगा। चंडीगढ़ में होने वाले एयर शो में कुल 83 एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं। एयर शो के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेना प्रमुखों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी।इस बार वायुसेना के 90वें स्थापना दिवस पर चंडीगढ़ में सुखना झील परिसर में वायुसेना दिवस ‘फ्लाई-पास्ट’ के लिए तैनात किए जाने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों में नए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं और वायुसेना के बेड़े में हाल ही में शामिल हुआ भारत का पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी एयर शो के दौरान अपनी हवाई शक्ति का प्रदर्शन करेगा।

वायुसेना दिवस के अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी वायुसेना कर्मियों के लिए नई युद्धक वर्दी का अनावरण करेंगे। एयर शो में 44 फाइटर एयर क्राफ्ट, 7 ट्रांसपोर्ट एयर क्राफ्ट, 20 हेलीकॉप्टर तथा 7 विंटेज एयरक्राफ्ट शामिल हो रहे हैं जबकि 9 एयरक्राफ्ट स्टैंडबाय पर रखे जाएंगे। एलसीएच ‘प्रचंड’ के अलावा हल्के लड़ाकू विमान तेजस, सुखोई, मिग-29, जगुआर, राफेल, आईएल-76, सी-130जे और हॉक सहित कई अन्य विमान तथा हेलीकॉप्टरों में उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, अपाचे और एमआई-17 ‘फ्लाई-पास्ट’ का हिस्सा होंगे। आसमान में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह भारतीय वायुसेना के ही हाथों में होती है, इसलिए दुश्मन देशों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वायुसेना को लगातार मजबूती प्रदान करना बेहद जरूरी है।

भारत के लिए गर्व की बात है कि भारतीय वायुसेना को अब दुनिया की चौथी बड़ी सैन्यशक्ति वाली वायुसेना माना जाता है। वायुसेना का ध्येय वाक्य है ‘नभः स्पृशं दीप्तम’ अर्थात् आकाश को स्पर्श करने वाले दैदीप्यमान। भारतीय वायुसेना देश की करीब 24 हजार किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती है। राफेल सहित कुछ और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों के वायुसेना की विभिन्न स्क्वाड्रनों में शामिल होने से हमारी वायुसेना कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है। वायुसेना की युद्धक क्षमताएं बढ़ने से हम हवा में पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुए हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का पहले से अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हुए हैं। पड़ोसी देशों की फितरत को देखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित एयरक्राफ्ट तथा लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल किए जाने की प्रक्रिया लगातार जारी है। हमारी वायुसेना आज इतनी ताकतवर हो चुकी है कि इसमें फाइटर एयर क्राफ्ट, मल्टीरोल एयर क्राफ्ट, हमलावर एयर क्राफ्ट तथा हेलीकॉप्टरों सहित 2200 से अधिक एयर क्राफ्ट तथा करीब 900 कॉम्बैट एयर क्राफ्ट शामिल हो चुके हैं। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में 08 अक्टूबर 1932 को हुई थी और तब इसका नाम था ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वायुसेना को अलग पहचान मिली और 1950 में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया। एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे।

भारतीय वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध, कांगो संकट, ऑपरेशन विजय, 1962 में भारत-चीन तथा 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, 1999 में कारगिल युद्ध इत्यादि में अपनी वीरता का असीम परिचय देते हुए वायुसेना ने हर तरह की विकट परिस्थितियों में भारत की आन-बान की रक्षा की। इस समय राफेल, सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग-21 बायसन, मिग-29, चिनूक, अपाचे तथा कई अन्य अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मिसाइलें भारतीय वायुसेना की बेमिसाल ताकत बने हैं और आगामी वर्षों में तेजस, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, ट्रेनर एयरक्राफ्ट सहित कई और ताकतवर हथियार वायुसेना की अभेद्य ताकत बनेंगे। राफेल तथा एलसीए मार्क-1 स्क्वाड्रन भी पूरी ताकत के साथ शुरू हो जाएंगी। डीआरडीओ तथा एचएएल के स्वदेशी उत्पादन वायुसेना की ताकत को निरंतर बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आने वाले समय में 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस (मार्क-1ए), 114 एमआरएफए विमानों की खरीद प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद तो वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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