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France और Britain के व्यापार में जबरदस्त गिरावट, जानें क्‍यों?

पेरिस। ब्रिटेन और फ्रांस के व्यापार पर ब्रेग्जिट (यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलगाव) का बहुत बुरा असर पड़ा है। दरअसल, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के लगभग तमाम देशों के बीच पिछले दो महीने में कारोबार में भारी गिरावट आई है। फ्रांस में जारी कस्टम विभाग के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि ये गिरावट किस हद तक है। जनवरी में फ्रांस से ब्रिटेन को होने वाले निर्यात में पिछले छह महीनों के औसत की तुलना में 13 फीसदी की कमी आई। कस्टम विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है- ‘ब्रिटेन के साथ व्यापार ब्रेग्जिट के कारण बाधित हो गया है।’



ब्रेग्जिट के ठीक पहले ब्रिटेन और फ्रांस के आपसी व्यापार में बढ़ोतरी देखी गई थी। इसकी वजह ये बतायी जाती है कि ब्रेग्जिट की आशंका को देखते हुए दोनों देशों के कारोबारियों ने दूसरे देश से आने वाली चीजों का भंडारण शुरू कर दिया था। हालांकि ब्रेग्जिट ब्रिटेन और ईयू के बीच हुए व्यापार समझौते के आधार पर हुआ। इस समझौते में प्रावधान किया गया कि ज्यादातर वस्तुओं के आयात-निर्यात पर शुल्क ना लगे। इसके बावजूद देखा गया है कि परिवहन खर्च बढ़ा, परिवहन में लगने वाले समय में इजाफा हुआ, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और सीमा पर कस्टम संबंधी नई शर्तें लागू हो गईं। इन सबसे आपसी व्यापार बाधित हुआ है।

विशेषज्ञों ने कहा है कि फ्रांस के ताजा आंकड़े इस बात संकेत हैं कि ब्रेग्जिट से ब्रिटेन और पूरे ईयू के बीच होने वाले व्यापार पर जोरदार चोट पड़ी है। ईयू ब्रिटेन का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। गौरतलब है कि जर्मनी की सांख्यिकी एजेंसी ने इसी हफ्ते अपने आंकड़े जारी किए थे। उससे जाहिर हुआ था कि जर्मनी से ब्रिटेन को होने वाले निर्यात में पिछले जनवरी में 30 फीसदी की गिरावट आई। वैसे जर्मनी से ब्रिटेन को होने वाला निर्यात 2016 में ब्रेग्जिट के लिए हुए जनमत संग्रह के बाद से लगातार गिर रहा है। इटली के आंकड़े फरवरी में आए थे। उसके मुताबिक जनवरी में इटली से ब्रिटेन को निर्यात में 38 फीसदी और ब्रिटेन से इटली को होने वाले निर्यात में 70 फीसदी की गिरावट आई।

वैसे कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कारोबार में कितनी गिरावट ब्रेग्जिट की वजह से आई है और कितनी कोरोना वायरस महामारी के कारण, यह साफ नहीं है। फ्रांस की बीमा कंपनी अक्सा के मुख्य अर्थशास्त्री जाइल्स मोएक ने लंदन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- ‘मेरे लिए यह तय करना कठिन है कि ब्रेग्जिट का कितना असर हुआ है और कितनी गिरावट कोरोना वायरस के कारण आई है।’ मोएक ने कहा कि ब्रेग्जिट की आशंका में ब्रिटिश और ईयू के व्यापारियों ने बड़े पैमाने पर चीजें अपने भंडारों में भर ली थीं। इसलिए जनवरी में आयात की कम जरूरत पड़ी। उसकी वजह से भी जनवरी में आयात-निर्यात में कुछ गिरावट आई हो सकती है। मोएक ने कहा कि ब्रेग्जिट के कारण स्थायी तौर पर कितनी गिरावट आएगी, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

ईयू के ट्रेड डाटा के मुताबिक 2016 में ब्रेग्जिट के लिए ब्रिटेन में हुए जनमत संग्रह के बाद से ईयू के साथ ब्रिटेन के कारोबार में गिरावट आने लगी थी। 2017 में ईयू के 27 देशों से हुए कुल निर्यात का 17 फीसदी हिस्सा ब्रिटेन गया था। अब ये आंकड़ा 14 फीसदी पर आ गया है। ब्रिटेन और ईयू के बीच सकल व्यापार के बारे में ईयू के आंकड़े इसी महीने बाद में जारी होंगे। पिछले साल ईयू से ब्रिटेन को निर्यात में 13.2 फीसदी और आयात में 13.9 फीसदी की गिरावट आई थी। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के कारण कुल आयात- निर्यात में गिरावट आई थी, लेकिन अमेरिका और चीन की तुलना में ब्रिटेन के साथ कारोबार में गिरावट कहीं ज्यादा रही। जर्मन संस्थान कील इंस्टीट्यूट फॉर वर्ल्ड इकोनॉमी के एक अध्ययन के मुताबिक भविष्य में ईयू और ब्रिटेन के बीच कारोबार ब्रग्जिट के पहले के स्तर से 12 से 15 फीसदी कम रहेगा।

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