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G20 समिट: सालभर बाद दिल्लीवासियों ने ली सबसे साफ हवा में सांस, बारिश का भी रहा अहम रोल

नई दिल्ली (New Delhi)। बारिश और जी-20 समिट (Rain and G-20 summit) के चलते तीन दिन की छुट्टी (three days leave) के बाद दिल्लीवालों को करीब 11 महीनों बाद साफ हवा मिली है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग (सीपीसीबी) (Central Pollution Control Department – CPCB) के मुताबिक, रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 के अंक पर रहा। पिछले साल अक्टूबर में हवा का स्तर इतना साफ-सुथरा रहा था।

राजधानी और आसपास के इलाकों में शनिवार और रविवार को हल्की से मध्यम बारिश हुई है, जबकि जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) के चलते शुक्रवार से ही स्कूल कॉलेजों और कार्यालयों में छुट्टी कर दी गई थी। इसके चलते सड़कों पर वाहनों की संख्या में भारी कमी आई है। इन दोनों ही कारणों के चलते दिल्ली के प्रदूषण में खासी गिरावट दर्ज की गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 के अंक पर रहा है। इस स्तर की हवा को अच्छी श्रेणी में रखा जाता है। शनिवार को भी सूचकांक 54 के अंक पर रहा था।


सीपीसीबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 10 अक्टूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 44 के अंक पर रहा था। अब लगभग 11 महीनों बाद हवा की गुणवत्ता इतनी साफ हुई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि साफ हवा का यह स्तर ज्यादा दिन तक नहीं बना रहेगा।

प्रदूषण जांच के आधार
केंद्रों में प्रदूषक कण पीएम 10, पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन और अमोनिया के प्रदूषक कणों के आधार पर निगरानी होती है।

8 साल में प्रदूषण पर बीस गुना रीयल टाइम निगरानी बढ़ी
वहीं, राजधानी और एनसीआर समेत देश के तमाम शहरों में प्रदूषण की निगरानी में इजाफा हुआ है। यहां तक कि आठ वर्षों में प्रदूषण पर रीयल टाइम निगरानी करने वाले केन्द्रों की संख्या बीस गुना तक बढ़ गई है। सीपीसीबी के आंकड़ों के आधार पर विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने इसका विश्लेषण किया है। निगरानी केंद्रों के बढ़ने से प्रदूषण के स्रोतों को जानने और उसकी रोकथाम करने में मदद मिली है।

इस वर्ष इजाफा हुआ
सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2015 में देशभर में केवल 25 प्रदूषण निगरानी केंद्र थे, जबकि वर्ष 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 517 हो गई है। यानी आठ वर्षों में लगभग बीस गुना का इजाफा हुआ है। वर्ष 2015 में आधे रियल टाइम निगरानी केंद्र दिल्ली में मौजूद थे।

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