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G20 से जिनपिंग का किनारा करने पर जर्मन चांसलर ने कहा फर्क नहीं पड़ता

नई दिल्ली (New Delhi)। भारत में होने जा रहे जी20 शिखर सम्मेलन (G20 summit) में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Vladimir Putin and Chinese President Xi Jinping) शामिल नहीं होंगे। चीन स्थित एक भारतीय राजनयिक और जी20 (G20 summit) देश की सरकार के लिए काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में आयोजित होने वाले जी20 समिट में शी जिनपिंग की जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग बीजिंग का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

आखिर जिनपिंग की ऐसी क्या मजबूरी रही कि वह विश्व स्तर के इतने बड़े सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे? इसके पीछे भारत और चीन के बीच गहराया सीमा विवाद कारण हो सकता है। जिनपिंग की जी20 समिट में गैरमौजूदगी पर जर्मन चांसलर ने दो टूक शब्दों में कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, यह बैठक दोनों के नेताओं (पुतिन और जिनपिंग) की गैरमौजूदगी से ज्यादा अहम है।



जर्मन रेडियो स्टेशन के साथ शुक्रवार देर रात जारी एक साक्षात्कार में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने कहा कि रूस और चीन की गैरमौजूदी के बावजूद भारत में होने वाला जी20 शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण बना हुआ है।

स्कोल्ज ने कहा, “जी20 को अभी भी एक महत्वपूर्ण योगदान देना है और इसे पूरा करना एक बड़ा दायित्व है, विशेष रूप से ब्रिक्स – ब्राजील , रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की विश्व अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह का महत्व बढ़ रहा है।”

जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता स्कोल्ज ने यह भी कहा कि औपनिवेशिक इतिहास वाले देशों की जिम्मेदारी है कि वे पूर्व उपनिवेशों में विकास को सक्षम बनाएं। चांसलर ने पूर्व उपनिवेशों को उनके प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और प्रसंस्करण में मदद करने की पेशकश की, जिसे उन्होंने निष्पक्ष साझेदारी कहा।

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