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आलोचना से डरती है हताशा से भरी सरकार – के.सी. वेणुगोपाल, अन्य विपक्षी नेता भी बिफरे


नई दिल्ली । बीबीसी कार्यालय में (In BBC Office) आयकर विभाग के सर्वेक्षण अभियान पर (On the Survey Campaign of Income Tax Department) कांग्रेस के महासचिव (Congress General Secretary) के.सी. वेणुगोपाल (K.C. Venugopal) ने कहा कि हताशा से भरी (Full of Frustration) सरकार (Government) आलोचना से डरती है (Is Afraid of Criticism) ।


के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर विभाग के छापे से सरकार की हताशा दिखती है, यह दिखाता है कि मोदी सरकार आलोचना से डरी हुई है। उन्होंने कहा, हम डराने-धमकाने के इन हथकंडों की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। यह अलोकतांत्रिक और तानाशाही रवैया अब और नहीं चल सकता। कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा, “यहां, हम अडानी मुद्दे पर जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार बीबीसी के पीछे पड़ी है। विनाश काले विपरीत बुद्धि।”

सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालय में सर्वे अभियान चलाया। यह कार्रवाई बीबीसी द्वारा 2002 के गुजरात दंगों पर ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक दो-भाग की डॉक्यूमेंट्री जारी करने के कुछ सप्ताह बाद हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्वे के दौरान ब्रॉडकास्टिंग कॉपोर्रेशन के कर्मचारियों को अपने कंप्यूटर सिस्टम और फोन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा गया।

दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों में आयकर अधिकारियों द्वारा “सर्वेक्षण” किए जाने की कार्रवाई बीबीसी द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर दो-भाग के डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ जारी करने के कुछ सप्ताह बाद की गई है। इसके बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष केंद्र सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्षी नेताओं ने मंगलवार को केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार बीबीसी के पीछे पड़ी है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने कहा कि हमने तो अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति जांच की मांग की है और सरकार बीबीसी के दफ्तरों में पहुंच गई है।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “बीबीसी कार्यालय पर छापे का कारण और प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट है। चाहे वह विपक्षी नेता हों, मीडिया, कार्यकर्ता या कोई और, सच बोलने वालों को भारत सरकार बेशर्मी से परेशान कर रही है। मुफ्ती ने कहा, “दस्ताने बंद हो गए हैं… और सच्चाई के लिए लड़ने की कीमत चुकानी पड़ती है।”

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “बीबीसी के दिल्ली कार्यालय में आयकर छापे की रिपोर्ट। वाह वाकई? कितना अप्रत्याशित… इस बीच, अडानी के लिए फरसान सेवा (अडानी को एक गुजराती स्नैक परोसा जाता है) जब वह अध्यक्ष @SEBI_India कार्यालय के साथ चैट के लिए आते हैं।”

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह “सर्वेक्षण” एक “वैचारिक आपातकल की घोषणा थी। वहीं, आई-टी “सर्वेक्षण” पर समाचार रिपोर्टों की एक तस्वीर ट्वीट करते हुए, भारत राष्ट्र समिति के सोशल मीडिया प्रमुख वाई सतीश रेड्डी ने कहा, “बीबीसी को मोदी उपहार।”

उद्धव ठाकरे गुट की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे भाजपा सरकार द्वारा असहमति की आवाजों को चुप कराने का तरीका बताया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया कि बीबीसी कार्यालय पर छापा मारना भाजपा सरकार की घोर, प्रेरित और स्पष्ट प्रतिक्रिया है। इसमें अब कोई आश्चर्य की बात नहीं है। फिर भी असहमति की आवाजों को चुप कराने के लिए ये एक और तरीका है।

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