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हरिद्वार कुंभ बना कोरोना फैलाने वाला केन्‍द्र, एक माह में 15 हजार से अधिक पॉजिटिव मिले

देहरादून। उत्तराखंड(Uttarakhand) में देहरादून के बाद अगर कोई जिला सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित है तो वो है हरिद्वार(Haridwar). शनिवार को उत्तराखंड(Uttarakhand) में करीब 5500 कोविड(Covid) के नए मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 578 अकेले हरिद्वार से थे. 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चले कुंभ के दौरान 15 हज़ार से ज्यादा कोविड के मामले हरिद्वार(Haridwar) जिले से आए, जिसमें शहर का योगदान सबसे ज्यादा रहा.
अधिकारियों की माने तो आधा करोड़ श्रद्धालुओं ने हरिद्वार कुंभ (Haridwar Kumbh) के दौरान गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. अकेले अप्रैल में 50 लाख लोगों ने हरिद्वार कुंभ में अपनी आमद दर्ज कराई. वहीं 14 जनवरी को जब सूर्य ने मकर संक्रांति में प्रवेश किया, तब से लेकर अप्रैल अंत तक करीब 91 लाख लोगों ने हरिद्वार का रुख किया. हालांकि जानकार इन सरकारी आंकड़ों से इत्तेफाक नहीं रखते. इंस्पेक्टर जनरल (कुंभ) संजय गुंज्याल इस बात को लेकर संतोष जताते हैं कि हरिद्वार कुंभ पहली बार बिना किसी दुर्घटना के संपन्न हो गया.



इस बार कुंभ को लेकर शुरू से ही उहापोह की स्थिति रही. पूर्व की त्रिवेंद्र रावत सरकार हरिद्वार में कुंभ को सांकेतिक कराने के पक्ष में रही तो वहीं मार्च में नई तीरथ सिंह रावत सरकार ने कुंभ को पूरी तरह से आम लोगों के लिए खोल दिया. लेकिन साथ ही आने वाले यात्रियों पर कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लेने की शर्त भी रखी. हालांकि तमाम प्रतिबंधों के बाद भी हरिद्वार में लाखों लोगों की आमद दर्ज की गई. हरिद्वार में तेरह अखाड़ों से आए हज़ारों संतो ने कोविड टेस्ट को लेकर शुरू से ही दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसका नतीजा यह हुआ कि अचानक कोविड के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई.
अप्रैल महीने में तीन शाही स्नान 12, 14 और 27 अप्रैल को हुए. खासकर 12 और 14 अप्रैल के स्नान में लाखों की भीड़ हरिद्वार की सड़कों पर दिखी. यह वह समय था जब भारत में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी थी. इसी दौरान कोविड के चलते तीन महामंडलेश्वरों की मौत भी हुई और सैकड़ों संत पॉजिटिव हुए. खुद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे. इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोआगे आना पड़ा और उन्होंने संतो से अपील की कि अब आगे का कुंभ संकेतिक तौर पर ही मनाया जाए. पीएम की अपील का असर हुआ और जूना सबसे बड़े जूना अखाड़े ने कुंभ से रवानगी घोषित की. इससे पहले निरंजनी अखाड़े ने भी कुंभ से जाने की घोषणा कर दी थी.

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