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हरियाली अमावस्या: आज के दिन जरूर करें ये उपाय, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

August 08, 2021

आज यानि 08 अगस्‍त को है हरियाली अमावस्‍या, मान्‍याता के अनुसार सूर्य और चन्द्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है। इसमें सूर्य और चन्द्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है। यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है। इस दिन अपने पूर्वजों, पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत और तर्पण का विधान है। श्रावण माह की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) भी कहते हैं। इसमें चन्द्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है। इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है। इस दिन दान और उपवास का विशेष महत्व होता है। इस दिन विशेष प्रयोगों से विशेष लाभ होते हैं।

हरियाली अमावस्या पर वृक्षा रोपड़ का विशेष महत्व है। शास्त्रों पुराणों में कहा गया है कि इस दिन वृक्षा रोपड़ करने से पितृ दोष, ग्रह दोष समाप्त होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल, बरगद, बेल, नीम, आमा, आंवला आदि के पेड़ लगाने चाहिए।

हरियाली अमावस्या सावन में पड़ने के कारण भगवान शिव का पूजन करना विशेष रूप से फल दायी होता है। इस दिन महादेव का पूजन करने और उन्हें आक या मदार का सफेद फूल चढ़ाने से पितृदोष समाप्त होता है।

हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों के निमित्त दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

सावन की अमावस्या पर सांय काल में पीपल के पेड़ (peepal tree) के पास सरसों के तेल का दीपक जला कर, पेड़ की परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।



किसी भी अमावस्या के दिन पितृसूक्त, गीता, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष या फिर पितृ कवच का पाठ करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति प्रदान करते हैं।

हरियाली अमावस्या पर पितरों के लिए व्रत करने और गरीब ब्राह्मण को खाना खिलाने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।

इस दिन पितरों के निमित्त पिंड दान करने और तर्पण करने का विधान है। ऐसा करने से पितृ दोष समाप्त होता है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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