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पूजा स्थल को लेकर SC में सुनवाई आज, केंद्र दाखिल नहीं कर सका अपना जवाब

  • February 17, 2025

    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों, Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991) से संबंधित कई याचिकाओं पर आज सोमवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन अब अगले महीने इसकी सुनवाई होगी. सीजेआई ने कहा कि हमें सुनवाई के लिए (प्रश्न निर्धारण के लिए भी) मार्च की तारीख देनी होगी. इससे पहले इस मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने आखिरी बार 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी.

    कोर्ट की वेबसाइट पर आज (17 फरवरी) के लिए अपलोड की गई कार्यसूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. यह कानून किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में किसी तरह के बदलाव पर रोक लगाता है. कानून में किसी स्थान के धार्मिक स्वरूप को 15 अगस्त 1947 के समय के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है.

    हालांकि केंद्र सरकार को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना था जो अब तक नहीं दाखिल किया गया है. कोर्ट में लंबित इस केस की दिशा और दशा केंद्र सरकार के जवाब पर टिकी हुई है. मार्च, 2021 में केंद्र को इस संबंध में नोटिस जारी की गई थी, लेकिन चार साल गुजर जाने के बाद भी रिपोर्ट दाखिल नहीं हो सकी है.


    सरकार ने इसके लिए कई बार समय मांगा और 20 महीने पहले केंद्र को समय देते हुए कोर्ट ने हर हाल में जवाब दाखिल करने को कहा था. तब कोर्ट ने 12 दिसंबर तक समय दिया था, लेकिन अब भी कोर्ट को केंद्र सरकार के जवाब का इंतजार है. केंद्र सरकार का जवाब पूजा स्थल से जुड़े इस कानून का भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएगा. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला साल 2020 से ही लंबित है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि केंद्र का जवाब आए बगैर केस पर आगे की सुनवाई नहीं हो सकती.

    तब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था. अब सवाल है कि किसी भी केस में जब कानून की वैधानिकता का मुद्दा लंबित हो तो सरकार के पास क्या विकल्प हो सकते हैं. सरकार अपना पक्ष रखते हुए यह बता सकती है कि इसे किस मंशा से लाया गया था. साथ ही सरकार यह भी कह सकती है कि कानून में कुछ बदलाव करने पर विचार कर रही है. इसके अलावा केंद्र कोर्ट को जवाब देने के बाद कानून में संशोधन के लिए कोई बिल भी ला सकती है.

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