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फ्लॉप फिल्मों के जाल से कैसे निकलेगा बॉलीवुड? इन पांच पॉइंट्स से पार लग सकती है नैया

मुंबई। बॉलीवुड की इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़कर अन्य फिल्में इस समय बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पा रही हैं, जबकि साउथ का सिक्का चल रहा है। बॉलीवुड की मेगा बजट फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर रही हैं। पानी की तरह पैसे बहाने के बाद भी फिल्में पहले दिन से ही निराश कर रही हैं। हालिया रिलीज लाल सिंह चड्ढा और रक्षा बंधन पहले ही दम तोड़ चुकी हैं। इससे पहले सम्राट पृथ्वीराज, धाकड़, बच्चन पांडे जैसी फिल्में बुरी तरह फ्लॉप रहीं, जिसे देखकर लगता है कि रेस में बरकरार रहने के लिए बॉलीवुड को कई बदलाव करने की जरूरत है। कई सेलेब्स भी इस पर राय दे चुके हैं। अब बड़े बजट की ब्रह्मास्त्र रिलीज होने की तैयारी कर रही है तो ऐसे में जानते हैं कि किन तरीकों से बॉलीवुड की नैया पार हो सकती है।

उम्र के हिसाब से कहानी और किरदारों में बदलाव
बॉलीवुड में तीनों खान, शाहरुख, सलमान और आमिर का सिक्का काफी समय से चलता आया है। अब समझने का वक्त है कि आमिर, सलमान, शाहरुख और अजय देवगन जैसे कलाकारों को अपने किरदारों में बदलाव लाने की जरूरत है…, क्योंकि गाहे-बगाहे सोशल मीडिया पर भी यूजर्स कई बार अभिनेताओं को बेहद कम उम्र की अभिनेत्रियों के साथ रोमांस करने के लिए ट्रोल करते नजर आते हैं। दरअसल, एक समय के बाद आगे बढ़ने के लिए बदलाव जरूरी हो जाता है, क्योंकि फिल्म तो ऑडियंस को ही देखनी है।

नए टैलेंट को मौका देने की जरूरत
बॉलीवुड में अक्सर नेपोटिज्म को लेकर हल्ला मचता ही रहता है। कई सितारे इसके विरोध में तो कई इसके पक्ष में दिखाई देते हैं, लेकिन यह भी सच है कि आगे बढ़ने और किसी भी क्षेत्र में ग्रोथ के लिए नए टैलेंट को मौका देना जरूरी होता है। जहां जाने-माने सितारों की फिल्में कोई कमाल नहीं दिखा पा रही हैं, वहीं कार्तिक आर्यन की फिल्म ने भूल भूलैया 2 ने महामारी के बाद जबरदस्त कमाई की। ऐसे में बॉलीवुड को खुद को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि बड़े निर्माता निर्देशक स्टार किड्स के साथ-साथ नए युवाओं को भी मौका दें। इस पर कई सितारे भी अपनी राय रख चुके हैं। एक बार मनोज बाजपेयी ने कहा था कि इंडस्ट्री में जिस बदलाव को हर कोई देखना चाहता है, वह तभी हो सकता है, जब ‘बाहर-भीतरी’ का भेद मिटा दिया जाए।


रीमेक की जगह नई कहानियों पर करें फोकस
वैसे तो सिनेमा की दुनिया में बरसों से रीमेक बनाने का चलन है, लेकिन अब लोग रीमेक की जगह नई कहानियों पर बनी फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं। पिछले कुछ साल में दर्शकों का फिल्में या कोई भी कंटेंट देखने का नजरिया बदला है। अब दर्शक न सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए फिल्में देखते हैं, बल्कि वह कहानी में हर बार कुछ यूनिक भी चाहते हैं। ऐसे में बॉलीवुड को इस ओर काम करने की बहुत जरूरत है। इस बारे में दिग्गज अभिनेता मुकेश खन्ना ने बॉलीवुड फिल्मों के पिछड़ने पर कहा था कि साउथ सिनेमा के लोग ओरिजिनल आइडिया पर काम करते हैं, लेकिन बॉलीवुड में ऐसा नहीं है। ऐसे में डिस्ट्रिब्यूटर को आगे आना चाहिए और निर्माता निर्देशकों को कुछ बड़ा सोचना चाहिए।

जमीनी स्तर पर करें मार्केटिंग
बॉलीवुड को चकाचौंध से भरी दुनिया कहा जाता है। यहां पर सितारे हर जगह लाइमलाइट तो बटोरते हैं, लेकिन साउथ के मुकाबले वह अपने प्रशंसकों से काफी दूर हैं। साउथ के सितारों के प्रति लोगों में जबरदस्त दीवानगी देखने को मिलती है, वैसी बॉलीवुड के प्रति नहीं है, क्योंकि सितारे भी खुद को कभी लोगों के उतना करीब नहीं रख पाते हैं। इस समय कार्तिक आर्यन सबसे अच्छा उदाहरण बनकर उभरे हैं। उन्होंने अपनी फिल्म ‘भूल भूलैया 2’ को लोगों के बीच जाकर उनके करीब जाकर प्रमोट किया। इससे न केवल उनकी फिल्म को फायदा हुआ, बल्कि उनकी छवि भी ज्यादा बेहतर हुई, जो आगे तक उनके करियर के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। ऐसे में मौजूदा समय को देखते हुए फिल्म की मार्केटिंग सिर्फ प्रमोशनल इवेंट तक ही सीमित न रखकर जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़कर करना बेहद आवश्यक है।

लोगों की भावनाओं को समझना जरूरी
मौजूदा समय में यह सबसे जरूरी है कि लोगों के माइंडसेट को समझा जाए। आखिर ऑडियंस क्या चाहती है। इसके लिए सिनेमा जगत के दिग्गजों को मंथन करना चाहिए। इस समय लोग विज्ञान के प्रति जागरूक हुए हैं तो धर्म आदि को लेकर पहले से ज्यादा मुखर हैं। ऐसे में बॉलीवुड को जन भावनाओं का सम्मान करने चलना जरूरी हो जाता है। हालांकि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जाए, लेकिन मौजूदा समीकरण में बॉलीवुड का अस्तित्व बनाए रखने के लिए दिग्गजों को हर पहलू पर गौर करना आवश्यक है।

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