जयपुर: राज्य में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए नागरिक सुरक्षा को लेकर अब रणनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं. शनिवार को मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में शासन सचिवालय में नागरिक सुरक्षा सलाहकार समिति की प्रथम बैठक का आयोजन हुआ. बैठक में प्रदेश के आपदा प्रबंधन तंत्र की गहन समीक्षा की गई और युद्ध जैसी संभावित आपात स्थितियों से निपटने के लिए बहुस्तरीय कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की गई.
मुख्य सचिव पंत ने कहा कि राज्य के रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए सिविल डिफेंस सिस्टम को केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तुरंत सक्रिय किया जाए. उन्होंने होमगार्डस, फायर ब्रिगेड, जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग सहित सभी हितधारकों को सशक्त और समन्वित प्रयास सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
बैठक में तय किया गया कि संभावित हवाई हमलों की स्थिति में सायरन बजाकर चेतावनी देना, ब्लैकआउट की स्थिति में नागरिकों का प्रशिक्षण, आग लगने की घटनाओं पर नियंत्रण, घायलों को रेस्क्यू करना, प्राथमिक उपचार देना और संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों का सुरक्षित निकास जैसे सभी आयामों का समावेश कर व्यापक अभ्यास किया जाएगा.
मुख्य सचिव ने जोर दिया कि किसी भी आपदा से मुकाबले के लिए सामुदायिक तैयारी अनिवार्य है. उन्होंने नागरिक सुरक्षा वार्डन, स्वयंसेवकों, एनसीसी, एनएसएस जैसे संगठनों की सक्रिय भागीदारी को निर्णायक बताया. साथ ही चेतावनी प्रणाली, आपातकालीन चिकित्सा, अग्निशमन, भोजन-पानी जैसे जरूरी संसाधनों की समुचित योजना और अभ्यास की समीक्षा भी की गई.
बैठक में नागरिक सुरक्षा निदेशक जगजीत सिंह मोंगा ने गृह रक्षा, अग्निशमन और नागरिक सुरक्षा की संयुक्त संरचना पर प्रस्तुति दी. उन्होंने प्रदेश के सामरिक महत्व को देखते हुए कहा कि मजबूत नागरिक सुरक्षा व्यवस्था आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है.
बैठक में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार, चिकित्सा विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़, डिस्कॉम अध्यक्ष आरती डोगरा, डीजीपी इंटेलिजेंस संजय अग्रवाल, एडीजी सिविल राइट्स मालिनी अग्रवाल, एडीजी एसडीआरएफ हवा सिंह घुमरिया सहित कई उच्च अधिकारी मौजूद रहे. यह बैठक ना केवल प्रदेश में आपदा प्रबंधन की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि राजस्थान अब नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हर संभव तैयारी में जुट चुका है.
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