स्‍वास्‍थ्‍य

इस पोज़ में रोज़ 20 मिनट बैठे और देखे आश्चर्यन करने वाले फायदे

मन और शरीर को तनाव से राहत देने के लिए रोज़ लेग्स अप द वॉल पोज यानि पारो को दीवाल पर ऊपर की तरफ रखे (या विपरीता करणी), यह एक योग आसन है। यह सबसे योग्‍य योगों में से एक है क्‍योंकि इसमें बहुत अधिक लचीलापन या शक्ति की आवश्‍यकता नहीं होती है। लेकिन भले ही यह एक निष्क्रिय मुद्रा है, लेकिन इसके लाभ बहुत अद्भुत हैं।

इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर पीठ के बल लेट जाएं। अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठायें और दिवार के सहारे टिका ले और अपने ऊपर के शरीर को फर्श पर ही रखा रहने दें।
आप आराम पाने के लिए अपने कूल्हों के नीचे किसी तकिये या कंबल को मोड़ के रख लें। सुनिश्चित करें कि आपकी पीठ और सिर फर्श पर आराम कर रहे हैं।
अपनी आंखों को बंद करें और इस स्थिति में आप कम से कम पांच मिनट के लिए रोके, अधिक फायदे के लिए 20 मिनिट तक करे।

इस मुद्रा में रहने से यह लाभ होते है:

1 विपरीत करनी एक ऐसा आसन है, जो मन को प्रसन्न करने और शांत करने में मदद करता है। यह आसन माइग्रेन और सिरदर्द से राहत प्रदान करता है।

2. विपरीत करनी आसन को करने के लिए आपको अपनी सांस को नियंत्रित रखना पड़ता है, जो श्वसन संबंधी समस्याओं को ठीक करता है। यह आसन आंखों और कानों की समस्याओं में सुधार करता है। यह आसन रक्त के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है।

3. विपरीत करनी कब्ज़ की शिकायत को दूर करता है और हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। इसके अलावा यह आसन अन्य बीमारियों जैसे मूत्र संबंधी विकार, उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप और गठिया आदि को ठीक करने में मदद करता हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है और आपके पेट और सभी अंगों में ताजा रक्त और लसीका द्रव लाता है।

4. लेग्स अप द वॉल पोज़ या विपरीत करनी योग आसन महिलाओं में होने वाली मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करता हैं। यह आसन रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म ऐंठन को कम करता है। यह आसन पुरुषों में वृषण, वीर्य और महिलाओं में डिम्बग्रंथि समस्याओं में मदद करता है।

5. विपरीत करनी धड़ के सामने, पैरों के पीछे और गर्दन के पिछले हिस्से को एक अच्छा खिंचाव देता है और हल्के पीठ दर्द से राहत दिलाता है। यह आसन थके हुए पैरों को स्वस्थ करता है। यह आपको युवा बनाए रखने में भी मदद करता है।

6. यह आंतों को स्‍वस्‍थ रखता है और डाइजेशन सुधारने में मदद करता है।

7. गर्दन और कंधों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए भी यह व्यायाम बहुत ही लाभकारी होता है।

टिप्स
शरीर को पूर्ण 90 डिग्री के कोण पर नहीं लाने का प्रयास करें क्योंकि इससे कूल्हों पर रक्त संचार बाधित हो सकता है। इसके बजाय अपने कूल्हों को दीवार से कुछ इंच की दूरी पर खिसकाएं और / या अपने कूल्हे के नीचे तकिया रखकर अपने कूल्हों को ऊपर उठाएँ।

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