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वैश्विक तापमान में वृद्धि से बढ़ रहा संकट, सदी के अंत तक कई शहर नहीं रहेंगे रहने लायक

नई दिल्ली। वर्ष 2100 आते-आते दुनियाभर के 36 बड़े शहर समुद्रों के बढ़ते जलस्तर की वजह से रहने लायक नहीं रहेंगे। इनमें भारत के तीन बड़े शहर, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता भी शामिल हैं। अगर दुनियाभर के बड़े शहरों की बात की जाए, तो इनमें न्यूयॉर्क, लंदन, दुबई, टोक्यो, बोस्टन, मकाउ, शंघाई, ढाका, सिंगापुर, बैंकॉक, जकार्ता और हो ची मिन्ह जैसे शहर शामिल हैं।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक, समुद्र का स्तर 20वीं सदी की तुलना में अब दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। 20वीं सदी के ज्यादातर समय में प्रतिवर्ष समुद्री जलस्तर में 0.06 इंच (1.4 मिमी) की बढ़ोतरी हो रही थी, जो 2006 से 2015 के बीच 0.14 इंच (3.6 मिमी) प्रति वर्ष दर्ज की गई है।

प्रदूषण की वजह से बढ़ रहा जलस्तर
प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन सहित तमाम वजहों से लगातार वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। इसकी वजह से ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ नाटकीय रूप से पिघल रही है, जिससे समुद्रों के जलस्तर बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में 2050 तक समुद्रों का जलस्तर बढ़ने से ज्यादातर सड़कें पानी में डूब जाएंगी।


एशियाई शहरों पर खतरा ज्यादा, जलस्तर 30 फीसदी बढ़ेगा
नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में इसी सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, समुद्री जलस्तर में वृद्धि से सबसे ज्यादा लोग चेन्नई, कोलकाता, ढाका, जकार्ता, यांगून, बैंकॉक, हो ची मिन्ह और मनीला जैसे शहरों में प्रभावित होंगे। इस अध्ययन में दुनियाभर में समुद्र के स्तर के जोखिम वाले क्षेत्रों का मानचित्रण करके प्रभावों के बारे में जानकारी जुटाई गई है।

अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR) के मुताबिक, अल-नीनो प्रभाव की वजह से खासतौर पर मध्य प्रशांत और हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास वाले इलाकों में जलस्तर 30 फीसदी तक ज्यादा बढ़ेगा। तीन फुट एनओएए व जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतरसरकारी पेनल (UN-IPCC) के मुताबिक, वर्ष 2100 तक समुद्री जलस्तर वर्ष 2000 की तुलना में एक से तीन फुट तक बढ़ सकता है। अगर यह न्यूनतम एक फुट भी बढ़ा, तो दुनियाभर के 25 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो जाएंगे।

अमेरिका खोज लेगा बचने का तरीका
अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि समुद्री जलस्तर में वृद्धि के दुष्प्रभावों से अपने तटीय शहरों को बचाने के लिए अमेरिका समय रहते बचाव के तरीके खोज लेगा, लेकिन एशियाई देशों के लिए यह कर पाना संभव नहीं। खासतौर पर गरीब और द्वीपीय देशों के पास इस संकट से बचने का सबसे मुफीद तरीका यही है कि दुनिया से अनुरोध करें कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकें, जिससे समुद्रों का जलस्तर बढ़ने से रुके।

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