मॉस्को। चीन के एयर डिफेंस सिस्टम (China’s Air Defense System) को टक्कर देने के लिए भारत को रूस से मिलने वाला है एस-400 (S 400) से दोयम दर्जे का है। एस-400 और एस-300 रक्षा प्रणालियों के विभिन्न प्रकार रूस (Russia) के वास्तविक उत्पादों से कमतर हैं। जो चीन के एयर डिफेंस सिस्टम को पलभर में नस्ट कर देगा।
बता दें कि भारत को जल्द रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली खेप मिलने वाली है। रूस ने भारत को S-400 सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। इस बात की जानकार रूसी सैन्य और तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवाओं (FSMTC) के निदेशक दिमित्री शुगाएव ने दी है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि डिलीवरी प्रक्रिया योजना के अनुसार ही चल रही है। खबर है कि दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आ सकते हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उस दौरान S-400 मिसाइल की पहली खेप भारत को मिल सकती है। इस S-400 मिसाइल मिलने से चीन के अरमानों पर भी पानी फिरने वाला है।
विदित हो कि S-400 मिसाइल का पहले ही चीन और तुर्की में इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत और रूस ने S-400 मिसाइल की डिलीवरी के लिए अक्टूबर 2018 में समझौता किया था।
अगस्त में रोसोबोरनएक्सपोर्ट के प्रमुक एलेक्जेंडर मिखीव ने स्पूतनिक को बाताया था कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई को लेकर 7 देशों से बात चल रही है। उन्होंने बताया कि ये देश मध्य पूर्व, एशिया पैसिफिक क्षेत्र और अफ्रीका के हैं।
वहीं भारत ने रूस के साथ 540 करोड़ डॉलर में पांच S-400 सिस्टम का करार किया है, हालांकि, अमेरिका ने इसे लेकर चेतावनी दी थी कि डील के चलते काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्जरीज थ्रू सैंक्शन्स (CAATSA) के तहत दूसरे दर्जे के प्रतिबंधों का सामना कर सकते हैं. भारीय वायु सेना के कई जवानों ने S-400 के संचालन के लिए रूस में ट्रैनिंग हासिल की है। Share: