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दावा: हरित ऊर्जा से 2025 तक 30 लाख करोड़ बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, 4.3 करोड़ नौकरियां मिलेंगी

नई दिल्ली। कार्बन उत्सर्जन और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देकर भारत न सिर्फ प्रदूषण से लड़ने में कामयाब होगा, बल्कि जीडीपी का आकार और नौकरियां पैदा करने में भी बड़ी सफलता हासिल कर सकता है।

वैश्विक थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया कि भारत 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 30.25 लाख करोड़ रुपये बढ़ जाएगा। इससे 4.3 करोड़ नौकरियों का भी सृजन होगा।

पिछले दिनों ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बन जाएगा। इतना ही नहीं 2030 तक हम अपनी जरूरत की 50 फीसदी ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों (सौर, पवन) से हासिल करेंगे।

इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत 2030 तक कम कार्बन उत्सर्जन वाली विद्युत क्षमता को भी 500 गीगावाट तक बढ़ाएगा। वित्त मामलों की स्थायी समिति के चेयरपर्सन जयंत सिन्हा ने कहा, शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें कानूनी रूप से भी सख्त कदम उठाने होंगे। इसके लिए बिजली उत्पादन, परिवहन, निर्माण, रियल एस्टेट, कृषि, सीमेंट, स्टील सहित अन्य उद्योगों खासकर निजी क्षेत्र को बड़ी भूमिका निभानी होगी।


कृषि क्षेत्र के दमदार प्रदर्शन से 10 फीसदी विकास दर हासिल करेंगे : नीति आयोग
सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि खरीफ के बाद रबी की बंपर पैदावार के बूते भारत 2021-22 में 10 फीसदी से ज्यादा की विकास दर हासिल कर सकता है। उन्होंने महंगाई को लेकर चिंता जताई और कहा कि पेट्रोल-डीजल जैसी ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से सतत विकास की ओर बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कुछ दबाव जरूर दिखेगा। हालांकि, भारत को कृषि क्षेत्र का सहारा मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्र की मांग बढ़ने से विनिर्माण में भी तेजी आएगी। अर्थनीति नाम से अपने लेख में कुमार ने कहा कि निर्यात में आई तेजी का लाभ अर्थव्यवस्था को मिल रहा है, जिससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।

मार्च तक 3.35 लाख करोड़ होगा भारत का चालू घाटा
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल आने से भारत के चालू खाते का घाटा (कैड) मार्च तक बढ़कर 45 अरब डॉलर (3.35 लाख करोड़ रुपये) पहुंच जाएगा। यह जीडीपी का करीब 1.4 फीसदी होगा। ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जुलाई के बाद से भारत व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। जून तक औसत व्यापार घाटा 12 अरब डॉलर था, जो अक्तूबर तक बढ़कर 16.8 अरब डॉलर हो गया है। सितंबर में तो रिकॉर्ड 22.6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा रहा था। फर्म ने पहले 35 अरब डॉलर के कैड का अनुमान लगाया था।

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