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उत्तराखंड में एक साथ युद्धाभ्यास करेंगी भारत-अमेरिका की सेना, औली पहुंची यूएस आर्मी

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) इंडोनेशिया के बाली में 15 नवंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) में हिस्सा लेने पहुंचे. जब वह जी-20 समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति (us President) जो बाइडेन से गर्मजोशी से मिल रहे थे तब अमेरिकी सेना भारत (India) में होने जा रहे युद्धाभ्यास के लिए भारत की धरती पर पहुंच गई थी. बुधवार (16 नवंबर) को अमेरिकी सेना की टुकड़ी उत्तराखंड (Uttarakhand) के औली में विधिवत एक्सरसाइज के लिए औली पहुंच जाएगी, जहां भारतीय सेना (Indian Army) के साथ अगले दो हफ्तों तक माउंटेन वॉरफेयर का अभ्यास करेगी.

भारत और अमेरिका (India and America) की सेनाओं के बीच होने वाली सालाना मिलिट्री एक्सरसाइज, युद्धाभ्यास का यह 18वां संस्करण है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के साथ सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और रणनीतियों का आदान-प्रदान करना है. इस साल युद्धाभ्यास में भारतीय सेना की असम रेजीमेंट की एक पूरी बटालियन हिस्सा ले रही है. अमेरिकी सेना की 11 एयरबॉर्न डिवीजन की सेकेंड (2) ब्रिगेड हिस्सा ले रही है.

भारत और अमेरिका के बीच युद्धाभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन के साथ पिछले 30 महीने से तनातनी जारी है. यह सैन्य अभ्यास सालाना तौर पर भारत और अमेरिका के बीच आयोजित होता है. इसके पिछले संस्करण का आयोजन अक्टूबर 2021 में अमेरिका के अलास्का में ‘ज्वाइंट बेस एलमेन्ड्राफ रिचर्डसन’ में किया गया था.


ट्रेनिंग में क्या कुछ होगा शामिल
मंगलवार को भारतीय सेना ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि अभ्यास के दौरान फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज, इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप, फोर्स मल्टीप्लायर्स, निगरानी ग्रिड की स्थापना और संचालन, ऑपरेशनल लॉजिस्टिक और पर्वतीय युद्ध कौशल शामिल है. इस दौरान कॉम्बेट इंजीनियरिंग, ‘अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम’ (UAS) और यूएएस का मुकाबला करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल सहित युद्ध कौशल की अन्य रणनीति का आदान प्रदान शामिल है.

अपने अनुभव साझ करेंगी सेनाएं
भारतीय सेना ने कहा कि यह युद्धाभ्यास (maneuvers) दोनों देशों की सेनाओं को अपने व्यापक अनुभवों, कौशलों को साझा करने और सूचना के आदान-प्रदान से अपनी तकनीकों के विस्तार का अवसर प्रदान करेगा. संयुक्त अभ्यास के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) ऑपरेशन की ड्रिल भी शामिल है. इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं के जवान किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में त्वरित और समन्वित रूप से राहत कार्य शुरू करने का भी अभ्यास करेंगे. औली में पहली बार भारतीय सेना किसी मित्र देश की सेना के साथ युद्धाभ्यास शुरू करने जा रही हैं. इसके लिए औली में एक नया फोरेन ट्रेनिंग नोड तैयार किया गया है.

10 हजार फीट की उंचाई पर औली
उत्तराखंड का औली करीब 10 हजार फीट की उंचाई पर है. ऐसे में इतने उंचे पहाड़ी इलाके में भारतीय सेना पहली बार किसी मित्र देश की सेना के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज करने जा रही है. इससे पहले तक भारतीय सेना अमेरिकी सेना के साथ सालाना मिलिट्री एक्सरसाइज उत्तराखंड के चौबटिया (रानीखेत) या फिर राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (बीकानेर) में करती आई थी. औली से एलएसी करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है.

हाई एल्टीट्यूड मिलिट्री वॉरफेयर रणनीति
भारत और चीन के बीच एलएसी 10 हजार से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर है. गलवान घाटी, जहां वर्ष 2020 में भारत और चीन की सेनाओं में झड़प हुई थी वह भी करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है. ऐसे में इस युद्धाभ्यास के जरिये भारत अपनी हाई एल्टीट्यूड मिलिट्री वॉरफेयर की रणनीति अमेरिका से साझा करेगा. वहीं, अमेरिकी सेना भी अलास्का जैसे बेहद ही सर्द इलाकों में तैनात रहती हैं, जहां 12 महीने बर्फ रहती है. ऐसे में अमेरिकी सेना भी अपनी हाई एल्टीट्यूड स्ट्रेटजी भारतीय सेना से साझा करेगी.

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