इंदौर न्यूज़ (Indore News)

थर्ड रेल सिस्टम से दौड़ेगी इंदौर मेट्रो, लोहे की पटरियों के साथ बिछाई एल्यूमीनियम की पटरी से होगी बिजली की आपूर्ति

17 मीटर ऊंचे मोनोपोल पर पेंथर कंडक्टर बिजली कम्पनी ने लगाए, कनेक्शन भी कल कर दिया चालू – आसपास के उद्योगों को भी मिलेगी बिजली
इन्दौर।  अगले महीने प्रायोरिटी कॉरिडोर का ट्रायल (trial) रन होना है, जिसके लिए तीन कोच (three coaches) वाली मेट्रो (metro) बड़ोदरा (vadodara) से रवाना हो गई है। अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल इंदौर-भोपाल मेट्रो में किया जा रहा है। यहां तक कि ऊर्जा बचत की भी पूरी व्यवस्था की गई है, जहां मेट्रो के लिए लोहे की दोनों तरफ पटरियां बिछाई जाएंगी। वहीं उनके साथ पास में एक एल्यूमीनियर की तीसरी पटरी भी रहेगी, जिसके जरिए मेट्रो ट्रेन को बिजली आपूर्ति की जाएगी। यानी पुराना छत से बिजली मिलने का सिस्टम नहीं रहेगा और इंदौर मेट्रो थर्ड रेल टेक्नोलॉजी के साथ दौड़ेगी। बिजली कम्पनी ने इंदौर मेट्रो को निर्बाध आपूर्ति मिलती रहे इसके लिए अलग से पेंथर लाइन भी डाली है।


इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने 10 एमवीए का बिजली कनेक्शन मेट्रो के लिए चालू भी कर दिया। सीएमडी अमित तोमर के मुताबिक अमित तोमर के मुताबिक उच्च शक्ति की 33 किलोवॉट बिजली नई लाइन के माध्यम से प्रदाय की जाएगी। 17 करोड़ रुपए की राशि से 17 मीटर ऊंचे मोनोपॉल लगाए गए हैं, जिन पर पेंथर कंडक्टर के माध्यम से बिजली पहुंचेगी। सुपर कॉरिडोर स्थित टीसीएस चौराहा के पास बिजली कम्पनी की टीम ने मेट्रो टीम के साथ पेंथर लाइन से पॉवर कमांड सेंटर को चार्ज भी कर दिया। मेट्रो के साथ-साथ इस पेंथर लाइन से टीसीएस, इन्फोसिस सहित आसपास के उद्योगों और क्षेत्रों को भी अब निर्बाध बिजली मिल सकेगी। मेट्रो जब भी किसी स्टेशन पर रूकेगी, उसके पहले उसको मिल रही बिजली ऊर्जा को कम कर दिया जाएगा, जिससे उसकी गति स्वत: कम होगी और इससे बिजली भी बचेगी। अलग से जो विद्युत नेटवर्क तैयार किया जा रहा है उसमें एमआर-10, खजराना और गांधी नगर पर तीन रिसीविंग सब स्टेशन भी बनेंगे और 132 किलोवॉट की लाइन से सब स्टेशनों तक बिजली पहुंचेगी और 33 किलोवॉट एसी वॉल्ट में तब्दील होगी और फिर उसमें से 750 वॉल्ट बिजली डीसी में तब्दील कर मेट्रो को दी जाएगी। इसके लिए जर्मनी, स्वीट्जरलैंड, फ्रांस से स्वीच गीयर बुलवाए हैं, जो विशाल आकार के हैं और इंदौर-भोपाल में चलने वाली मेट्रो में थर्ड रेल टेक्नोलॉजी सिस्टम का उपयोग होगा, जिसमें वाय डक्ट पर आने-जाने के लिए तीन-तीन पटरियां बिछाई जा रही है, जिनमें 2 लोहे की और तीसरी बिजली आपूर्ति के लिए एल्युमीनियम की बिछाई जाएगी।

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