ब्‍लॉगर

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाक को बेनकाब करने का अवसर

– योगेश कुमार गोयल

14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले को लेकर करीब डेढ़ साल बाद एनआईए द्वारा आखिरकार जम्मू की विशेष अदालत में 13500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल करने के बाद साफ हो गया है कि पुलवामा हमले की साजिश कितनी गहरी थी। विस्फोटक से भरी गाड़ी से सीआरपीएफ के काफिले पर टक्कर मारकर किए गए हमले में हमारे 40 से अधिक जवान शहीद हो गए थे। चार्जशीट में आतंकी हमले के बारे में विस्तार से बताया गया है कि उस हमले को कैसे अंजाम दिया गया। डेढ़ साल लंबी बाद जांच के बाद एनआईए द्वारा 19 आतंकियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए हैं, जिन्होंने साजिश रची, साजिश रचने में मदद की या साजिश को अंजाम दिया। इनमें आत्मघाती हमलावर आबिद अहमद डार के अलावा सात कथित जैश संचालकों शाकिर बशीर मगरे, मोहम्मद अब्बास राथर, मोहम्मद इकबाल राथर, वाज-उल-इस्लाम, इंशा जान, तारिक अहमद शाह और बिलाल अहमद कुचे के नाम हैं, जिन्हें पिछले एक साल में हमलावरों को सहायता देने के आरोप में कश्मीर से गिरफ्तार किया गया।

भले ही चार्जशीट में पाकिस्तान सरकार या उसके किसी संस्थान का नाम नहीं है लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि यह सारा खूनी खेल उसकी धरती से उसी द्वारा पाले-पोसे जा रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा रचा गया था। एनआईए द्वारा जैश प्रमुख मसूद अजहर, उसके भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर तथा मारूफ असगर को मुख्य साजिशकर्ता करार दिया गया है।

एनआईए ने अपनी चार्जशीट में स्पष्ट कहा है कि कैसे पाकिस्तान के बहावलपुर से जैश सरगना मसूद अजहर पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले आतंकी उमर फारुख को लगातार वॉयस संदेश भेजकर निर्देश दे रहा था। जम्मू की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के उस पार शकरगढ़ लांच पैड से जैश के आतंकियों की घुसपैठ कराई गई और इसके लिए आतंकियों ने टनल का इस्तेमाल किया। हमले के लिए जैश आतंकी उमर फारुख कई बैच में 35-40 किलो आरडीएक्स लेकर आया था, जिसका इस्तेमाल कर कश्मीर में मौजूद आतंकियों ने अमोनियम नाइट्रेट, जिलेटिन की छड़ तथा एल्यूमिनियम पाउडर का इस्तेमाल कर विस्फोटक बनाया। एनआईए ने चार्जशीट में यह सनसनीखेज खुलासा किया है कि जैश आतंकी पुलवामा के बाद घाटी में ऐसा ही एक और हमला करना चाहते थे लेकिन पुलवामा के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण जैश सरगनाओं ने उसे रोक दिया था।

पुलवामा हमले को लेकर जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, एनआईए के खुलासों के बाद अब कोशिश होनी चाहिए कि प्राथमिकता के आधार पर अदालती प्रक्रिया में विशेष तेजी लाकर उन्हें ऐसी कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए, जो दूसरे आतंकियों की रुह कंपा देने वाली हो और आतंकी सरगनाओं के सरपरस्त बने पाकिस्तान को भी हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बेनकाब किया जाए। अगर पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर पर लगे तमाम आरोपों को अदालत में सच साबित किया जा सका तो इससे न केवल एनआईए की विश्वसनीयता कई गुना बढ़ जाएगी, इससे जैश सहित पाकिस्तान पर भी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में और ज्यादा दबाव बनाने में भी सफलता मिलेगी।

पाकिस्तान ऐसा देश है, जो अपने अंदरूनी हालात सुधारने के बजाय भारत में आतंकी वारदातें करने में ही सारी ऊर्जा खर्च करता रहा है। हालांकि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल आतंकियों की हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, इसी साल अबतक सैंकड़ों आतंकियों को जमींदोज किया जा चुका है लेकिन जिस प्रकार पिछले कुछ समय में कई कट्टरपंथियों की गिरफ्तारियां हुई हैं और सीमावर्ती इलाकों में कई ड्रोन बरामद हुए हैं, उससे स्पष्ट है कि आतंकी वहां लगातार सक्रिय हैं और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। उसके आतंकियों के पकड़े जाने पर उनकी तमाम स्वीकारोक्तियों के बाद भी वह हर बार झूठ का सहारा लेकर उन्हें अपना मानने से ही इनकार कर देता है।

पुलवामा हमला हो या भारत में अबतक हुए दूसरे बड़े आतंकी हमले, लगभग सभी के तार पाकिस्तान से जुड़े पाए गए लेकिन उसने हमेशा इन आरोपों को नकारा और अपनी धरती पर पल रहे आतंकी सरगनाओं पर नकेल कसने की कभी कोशिश नहीं की। 2008 के मुम्बई हमले में अजमल कसाब को जिंदा पकड़े जाने के बाद पूरी दुनिया के समक्ष खुलासा हुआ था कि उस हमले का मास्टरमाइंड भी पाकिस्तान का चहेता जैश मुखिया मसूद अजहर ही था लेकिन शुरुआत में पाकिस्तान यह स्वीकारने से इनकार करता रहा लेकिन जब उसपर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा तो उसने दिखावे की कार्रवाई करते हुए उसपर केस दर्ज किया किन्तु मसूद अजहर का कुछ नहीं बिगड़ा। हालांकि पुलवामा हमले के बाद भारत के प्रयासों से पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया लेकिन यह जगजाहिर है कि वह आज भी इमरान सरकार के संरक्षण में वहीं से भारत विरोधी आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहा है।

पाकिस्तान की ऐसी ही गतिविधयों के कारण अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ द्वारा उसे ‘ग्रे सूची’ में डाला जा चुका है, जिससे बाहर निकलने के लिए वह हर हथकंडा अपना रहा है लेकिन पुलवामा हमले को लेकर एनआईए द्वारा दाखिल की गई हजारों पन्नों की चार्टशीट में किए गए खुलासों के बाद भारत के पास पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में बेनकाब करने का बेहतरीन अवसर है लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है कि अदालत में एनआईए के आरोपों को जल्द से जल्द साबित किया जाए। हालांकि एनआईए की चार्टशीट के बाद मांग उठने लगी है कि पाकिस्तान भारत के गुनाहगार मसूद अजहर को उसे सौंप दे लेकिन पाकिस्तान जैसे धूर्त और आतंकी देश से ऐसी उम्मीद करना ही बेमानी है। भारत की धरती को निर्दोषों के लहू से लाल करता रहा पाकिस्तान कितना धूर्त देश है, यह उसके हाल के इस हास्यास्पद दावे से समझा जा सकता है कि भारत ने उसके खिलाफ भाड़े के आतंकी रखे हैं।

पुलवामा हमले के बाद आर्थिक रूप से पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए उससे ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस लिया गया था, उसके बाद उसी की सीमा में 80 किमी भीतर घुसकर ‘एयर स्ट्राइक’ की गई थी। वैसे भारत पहले भी पाकिस्तान के भीतर घुसकर ऐसी ही कार्रवाई कर चुका है। 2016 के उरी हमले के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी लेकिन उस समय वायुसेना के बजाय पैराट्रूपर्स ने पीओके में आतंकी कैंपों को तबाह किया था लेकिन किसी आतंकी संगठन के खिलाफ भारत ने बालाकोट में पहली बड़ी सर्जिकल एयर स्ट्राइक की थी।

बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र में गला फाड़ते रहने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान अलग-थलग सा पड़ा है। ले-देकर वह सिर्फ चीन की ओर ही देख सकता है लेकिन चीन का भी अपना एजेंडा है। पाकिस्तान में पहले ही गृहयुद्ध जैसे हालात बने हैं और उसी के पाले-पोसे आतंकी कई बार उसी के लिए भस्मासुर साबित होते रहे हैं। अबतक 70 हजार से भी ज्यादा आम नागरिक पाकिस्तान में ही आतंकी हिंसा में मारे जा चुके हैं। भले ही यह देश आज तबाही के कगार पर खड़ा है लेकिन उसकी फितरत ऐसी है कि बदलने का नाम नहीं ले रही। बहरहाल, पाकिस्तान में सरेआम सीना तानकर घूम रहे मसूद अजहर जैसे तमाम दुर्दान्त आतंकियों की नाक में नकेल डालने के लिए पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमर तोड़ने के लिए हरसंभव प्रयास करने होंगे।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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