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नया तेल टर्मिनल बना ईरान ने दी अमेरिकी प्रतिबंधों को चुनौती


तेहरान। ईरान (Iran) ने ओमान की खाड़ी(Gulf of Oman) में अपने पहले तेल टर्मिनल(News oil terminal) की शुरुआत की है। इसकी शुरुआत के मौके पर ईरान(Iran) ने कहा कि यह टर्मिनल(oil terminal) अमेरिकी प्रतिबंधों की नाकामी का सबूत है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक हाल के राष्ट्रपति चुनाव(presidential election) में इब्राहीम रईसी (Ebrahim Raisi) के जीतने के बाद ईरान (Iran) के रुख में आई सख्ती इस बयान में भी झलकी है। गौरतलब है कि इब्राहीम रईसी (Ebrahim Raisi)पांच अगस्त को अपना पद संभालेंगे। इसके पहले उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उनकी अमेरिकी नेताओं से मिलने में कोई रुचि नहीं (Not interested in meeting US leaders) है।
ओमान की खाड़ी में बने टर्मिनल का ईरान को फायदा यह होगा कि अब वह हॉर्मुज जलडमरूमध्य से बिना गुजरे अपने तेल का निर्यात कर सकेगा। हॉर्मुज से जाने वाले रास्ते में हाल में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिनसे ईरान में चिंता बढ़ी थी। नया टर्मिनल बंदरगाह बंदर-ए-जस्क पर स्थित है। यह हॉर्मुज जलडमरूमध्य के दक्षिण में स्थित है। टर्मिनल का उद्घाटन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया। उस मौके पर उन्होंने इसे ईरान की एक रणनीतिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि इस निर्माण के बाद अब ईरान सुरक्षित ढंग से तेल का निर्यात कर सकेगा।



गौरतलब है कि होर्मुज जलडमरूमध्य को लेकर दशकों से अंतरराष्ट्रीय तनाव जारी रहा है। वहां हाल में कई बार ईरानी और अमेरिकी नौ सेना के बीच टकराव की नौबत आई। उन मौकों पर दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर अनुचित व्यवहार करने के आरोप लगाए थे। उद्घाटन के मौके पर रूहानी ने कहा कि इस टर्मिनल का निर्माण ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों की नाकामी को जाहिर करता है। उन्होंने बताया कि ईरान इस टर्मिनल से रोज तकरीबन दस लाख बैरल तेल का निर्यात करेगा। ईरान के तेल मंत्री बिजान जांगानेह ने बताया है कि टर्मिनल और उससे जुड़ी पाइपलाइन के निर्माण पर दो अरब डॉलर का खर्च आया।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान के तेल उद्योग को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 2015 में ईरान का अमेरिका(America) सहित छह देशों के साथ परमाणु समझौता हुआ था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उस समझौते के बाद ईरान पर से कई प्रतिबंध हटा लिए थे।
लेकिन उनके बाद राष्ट्रपति बने डोनाल्ड प्रतिबंध ने उस समझौते से अमेरिका को हटा लिया और फिर से ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए। उस समय ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका-ईरान को तेल निर्यात से होने वाली आमदनी को शून्य तक पहुंचा देगा। गौरतलब है कि ईरान के लिए तेल निर्यात बहुत अहम है। उससे ही उसे सबसे ज्यादा आमदनी होती है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से ईरान के तेल उद्योग को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन उसे शून्य तक ला देने का उसका इरादा पूरा नहीं हो सका है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के तेल निर्यात अमेरिका विरोधी लामबंदी का एक बड़ा मुद्दा बन गया है। उसे सबसे ज्यादा सहारा चीन ने दिया है। चीन ने ईरान से तेल आयात को आपसी मुद्राओं में करने का फैसला किया। उससे बिना डॉलर का इस्तेमाल किए ईरान को बड़े पैमाने पर तेल निर्यात का मौका मिला। इसीलिए नए टर्मिनल के निर्माण को सिर्फ एक कारोबारी घटना नहीं समझा गया है। बल्कि इसे कूटनीतिक और रणनीतिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण बताया गया है।

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