- इंदौर में बढ़ रहे साइबर गेमिंग से जुड़े मामले
इंदौर, नासेरा मंसूरी। मोबाइल में गेम खेलते वक्त टास्क पूरे करने के चक्कर में बच्चों की आत्महत्या के मामले तो सामने आ ही रहे हैं, इसी के साथ शहर में कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें मोबाइल पर गेम खेलते वक्त बच्चों ने गैजेट्स या महंगे फोन खरीदने के चक्कर में माता-पिता के खाते से हजारों रुपए उड़ा लिए और उन्हें पता भी नहीं चला। मामले साइबर गेमिंग से जुड़े हैं, जो पिछले डेढ़ साल में साइबर सेल के पास आए। इसमें एक बच्चे ने तो अपने पिता का फोन ही ले जाकर गिरवी रख दिया।
दरअसल, मोबाइल पर कई ऐसे गेम हैं, जिन्हें एक बार बच्चा खेलने लगता है तो उसकी लत लग जाती है। ये गेम बच्चों को ललचाने लगते हैं और फिर पॉइंट, वैपंस, पॉवर, गैजेट्स खरीदने के नाम पर रकम मांगी जाती है। गेम्स में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने और अपनी गेम प्रोफाइल को मजबूत करने के नाम पर बच्चे माता-पिता के खातों से रकम ट्रांसफर कर लेते हैं। हालांकि कई मामलों में बच्चों को भी पता नहीं होता कि ये कब हो गया तो कई बच्चे बाकायदा माता-पिता के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके रकम ट्रांसफर कर देते हैं। कई जगह बच्चे अपने घरों या मोहल्लों में एक ग्रुप बना लेते हैं और फिर उसमें सामूहिक रूप से अपने मोबाइल पर गेम्स खेले जाते हैं। इंदौर में साइबर सेल के पास इस तरह के अलग-अलग कई केस आ चुके हैं। फिलहाल बच्चों के बीच पबजी के अलावा अब फ्री फायर, क्लैश ऑन क्लैंस और बैटल ग्राउंड मोबाइल इंडिया जैसे गेम्स पॉपुलर हैं।
बच्चों पर रखें नजर उनकी दुनिया अलग
एक्सपट्र्स के मुताबिक बच्चों के पास फोन है और वो उसमें गेम खेल रहे हैं तो माता-पिता उन पर नजर रखें। साथ ही इस तरह के हिंसक गेम न खेलने के लिए समझाएं भी। बच्चों के मोबाइल में खातों से संबंधी जानकारी या पैसों के लेन-देन संबंधी कोई भी ऐप न रखें। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। कई बच्चे अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं, इसलिए ये भी देखें कि उनके फोन और लैपटॉप पर कौन से ऐप इंस्टॉल हैं।
बच्चे साइबर बुलिंग और साइबर ग्रूमिंग का भी शिकार
साइबर सेल एसपी जितेंद्रसिंह ने बताया कि बच्चों से जुड़ी तीन बड़ी समस्याएं देखी जाती हैं। ये हैं- साइबर बुलिंग (किसी ग्रुप द्वारा दूसरे बच्चे का उपहास कर उसे नीचा दिखाना, चिढ़ाना), साइबर गेमिंग और साइबर ग्रूमिंग (फेक प्रोफाइल बनाकर बच्चों से दोस्ती कर उन्हें बाद में परेशान करना)। सिंह के मुताबिक साइबर बुलिंग के मामले भी बच्चों के साथ होते हैं, लेकिन कभी सामने नहीं आते और न ही इसकी रिपोर्ट की जाती है। हालांकि ये एक बड़ा मुद्दा है। इसी के साथ यदि साइबर ग्रूमिंग की बात करें तो ये गंभीर समस्या है। मानसिक रूप से विकृत लोग ये करते हैं और बाद में बच्चों को डराने-धमकाने का काम करते हैं। इंदौर में अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन देश के दूसरे राज्यों में एक-दो मामले सामने आए हंै। इंदौर में साइबर गेमिंग से जुड़े मामले जरूर सामने आते हैं।
फोन खरीदने के लिए 42 हजार लिए
इंजीनियरिंग कर रहे 18 साल के एक लडक़े ने पिता के खाते से 42 हजार रुपए निकाल लिए। पिता ने रुपए खाते से निकलने की शिकायत साइबर सेल में की। जांच में पता चला कि बेटे ने ही पिता के कार्ड से रुपए ट्रांसफर किए। लडक़े को पबजी खेलने के लिए नया फोन खरीदना था और वो महंगा था। जांच में पता लगने पर पिता और बेटे को साइबर सेल में बुलाकर काउंसलिंग की गई तो बेटे ने बताया कि पबजी फास्ट चले, इसलिए नया फोन लेना जरूरी था।
11 साल के बेटे ने 12 हजार के गैजेट्स खरीदे
शासकीय कर्मचारी और सिंगल मदर ने शिकायत की कि उनके खाते से 12 हजार रुपए कटे हैं। साइबर सेल ने जांच की तो पता चला कि उनके 11 साल के बेटे को रोज पांच से छह घंटे गेम खेलने की आदत है और गेम में आगे बढऩे के लिए उसने 12 हजार के गैजेट्स ऑनलाइन खरीद लिए थे। इस बात से अनजान बेटे ने काउंसलिंग में मुस्कराते हुए ये बात अधिकारियों को बताई।
पैसे नहीं थे तो फोन गिरवी रखा
गेम्स में अपनी प्रोफाइल मजबूत करने के चक्कर में एक लडक़े ने फोन ही गिरवी रख दिया। पिता ने फोन गुम होने की शिकायत सिटीजन कॉप ऐेप पर की तो मामला साइबर सेल के पास पहुंचा। फिर जांच में पता चला कि फोन शहर में ही चल रहा है और उसे एक युवा चला रहा है। बेटे ने अपनी गेम प्रोफाइल को मजबूत करने के लिए किसी दूसरे लडक़े से प्रोफाइल खरीदी थी और रुपए नहीं दे पाया तो उसे फोन ही दे आया।