देश धर्म-ज्‍योतिष

जैन समाज के भगवान आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने ली समाधि

नई दिल्ली। जैन समाज के वर्तमान के महावीर कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज ने देह त्याग दी और पूरी विधि के साथ समाधि ली. आपको बता दें कि रात 2.35 बजे उनकी देह इस संसार को छोड़ चुकी थी. वह आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे. जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था. ऐसे में मुनि विद्यासागर महज 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 में आचार्य हो गए थे.


कौन होंगे अगले आचार्य?

ठीक इसी तरह आचार्य विद्यासागर महाराज ने भी तीन पहले ही अपने आचार्य पद का त्याग किया और अपना आचार्य पद उनके पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर को सौंप दिया. बताया जा रहा है कि 6 फरवरी को ही उन्होंने मुनि समयसागर और मुनि योगसागर को एकांत में बुलाकर अपनी जिम्मेदारियां उन्हें सौंप दी थी. बता दें कि ये दोनों मुनि समयसागर और योगसागर उनके ग्रहस्थ जीवन के सगे भाई हैं.

कर्नाटक के बेलगांव में हुआ था जन्म

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को हुआ था. आचार्य विद्यासागर महाराज के 3 भाई और दो बहनें हैं. तीनों भाई में से 2 भाई आज मुनि हैं और भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं. आचार्य विद्यासागर महाराज की बहने स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही ब्रह्मचर्य लिया था. बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज अबतक 500 से ज्यादा दिक्षा दे चुके हैं. हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया.

माता-पिता ने भी ली थी समाधि

आचार्य विद्यासागर महाराज की माता का नाम श्रीमति और पिता का नाम मल्लपा था. उनके माता-पिता ने भी उनसे ही दिक्षा लेकर समाधि मरण की प्राप्ति की थी. पूरे बुंदेलखंड में आचार्य विद्यासागर महाराज ‘छोटे बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं क्योंकि उन्होंने मप्र के दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की मूर्ति को मंदिर में रखवाया था और कुंडलपुर में अक्षरधाम की तर्ज पर भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाया था.

पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी लिया था आशीर्वाद


बता दें नवंबर में छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले पीएम मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे और उनका आशीर्वाद लिया था. आचार्य विद्यासागर महाराज जनकल्याण के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए काम किया. आचार्य विद्यासागर महाराज का देश के लिए हमेशा से कहना था कि ‘इंडिया नहीं भारत बोलो’ और वे हमेशा से हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने में अग्रसर रहे. देश के गृहमंत्री अमित शाह समेत कई अन्य राजनेता भी आचार्य श्रेष्ठ के दर्शन लाभ ले चुके थे।

Share:

Next Post

मेरी आंखों के सामने बदले नतीजे; पाकिस्तान का यह कैसा चुनाव, कमिश्नर ने खुद माना चुनाव में धांधली का आरोप

Sun Feb 18 , 2024
नई दिल्‍ली (New Dehli)। पाकिस्तान में आम चुनावों ने धांधली (General elections rigged)की भी एक मिसाल कायम (set an example)कर दी है। 8 फरवरी को आए चुनावी नतीजों (election results)के बाद पाकिस्तान में जनता सड़कों (public roads)पर उतर चुकी है। वहीं धांधली के आरोपों के बीच रावलपिंडी डिवीजन के कमिश्रर ने अपने पद से इस्तीफा […]