रांची । झारखंड(Jharkhand) में विकास के लिए योजनाएं(Plans for development) बनाने का जिम्मा जिस विभाग के पास है, वह हाथ पर हाथ धरे बैठा है। यह विभाग(Department) कोई और नहीं, बल्कि योजना विभाग(planning Department) है। विभाग शुरू से ही हर वर्ष वार्षिक रिपोर्ट तैयार करता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है। इससे कहीं न कहीं विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट नहीं होने से इस बात का अनुमान ही नहीं लग पा रहा है कि कौन सा कार्य कितनी अवधि में पूरी होनी है। इसके लिए कितनी राशि की आवश्यकता होगी।
कहीं न कहीं इससे विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार 2021 से यह कार्य पूरी तरह बंद है।
एक साथ संचालित हो रहे थे दो विभाग
दरअसल, झारखंड में कई वर्षों तक वित्त और योजना विभाग एक साथ संचालित हो रहा था। बाद में वित्त और योजना विभागों को अलग-अलग कर दिया गया, इसके बाद से ही योजना विभाग पंगु है। यहां भविष्य के लिए योजनाओं का घोर अभाव है। इसके पीछे का एक बड़ा कारण एक्सपर्ट और कर्मियों की कमी भी है।
देश में एक मात्र राज्य झारखंड है जहां भविष्य के लिए योजनाओं का निर्माण बंद है। यह कार्य अमित खरे के झारखंड से जाने के बाद से ही शिथिल पड़ा हुआ है। योजना विभाग विकास का कार्य करता है, जिसे वित्त विभाग लागू करता है।
कोई एनुअल रिपोर्ट नहीं
एनुअल रिपोर्ट नहीं होने से इस बात की जानकारी नहीं हो पाती कि अगले पांच वर्षों में राज्य कहां पहुंचेगा। इस वर्ष क्या हो रहा है और अगले वर्षों की क्या योजना है। एनुअल रिपोर्ट के बगैर प्लान साइज तय हो जा रहा है।
वित्त विभाग इसी के लिए राशि का प्रबंध करता है, लेकिन एनुअल प्लान नहीं होने से हाथ पर हाथ धरकर बैठने के अलावा कोई चारा नहीं है। इसके बदले योजना आलेख बनाकर काम चलाया जा रहा है।
राज्य विकास परिषद काम नहीं कर रहा, एक्सपर्ट भी नहीं हैं। भविष्य की योजनाओं के निर्माण के लिए स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल बनाया गया था, लेकिन यह संस्थान कार्यरत नहीं है।
इसके लिए विभाग में एक्सपर्ट कर्मियों की भी कमी है। सिस्टम से काम होना बंद हो गया है, जिस कारण से योजनाओं पर कोई काम नहीं हो रहा है।
राज्य विकास परिषद के पदेन अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। परिषद में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मंतव्य प्राप्त कर नीतियों का निर्धारण तथा कार्यक्रमों के योजनाबद्ध क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को परामर्श दिया जाता रहा है। इसकी तमाम शाखाओं में अभी कर्मियों की कमी है।
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