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J&K: तहरीक ए-हुर्रियत पर प्रतिबंध, अलगाववाद के साथ पाकिस्तान को भी करारा झटका

जम्मू (Jammu)। केंद्र सरकार (Central government) ने तहरीक ए-हुर्रियत पर प्रतिबंध (Tehreek-e-Hurriyat ban) लगाकर कश्मीर में अलगाववाद (separatism in kashmir) तथा उसकी विचारधारा पर आखिरी कील ठोकने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इससे कश्मीर में अलगाववाद की आवाज तो दबेगी ही, साथ ही इसके पोषक पाकिस्तान को भी करारा झटका (A big blow to Pakistan too) दिया है। दरअसल, प्रतिबंध की पृष्ठभूमि जुलाई महीने में तैयार हो गई थी जब श्रीनगर के एक होटल में हुर्रियत व जेकेएलएफ को जीवित करने के संबंध में पूर्व आतंकी व हुर्रियत कार्यकर्ता बैठक करते पकड़े गए थे।


पाकिस्तान पहले से ही तहरीक तथा अलगाववाद की समर्थक रही है और घाटी में अलगाववाद को हवा देने के लिए समय समय पर नापाक साजिशें भी करती रही हैं।पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 व 35ए हटाए जाने के बाद कश्मीर में अलगाववादी संगठनों की गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं। अलगाववादी नेताओं के फरमानों की अनदेखी होने लगी थी। न पत्थरबाज सक्रिय हो रहे थे और न ही कुछ मौकों पर दिए गए बंद का आह्वान सफल हो पाया था।

इस बीच पाकिस्तान के इशारे पर दोबारा हुर्रियत व जेकेएलएफ को जिंदा करने की साजिश के तहत बैठकें इस साल की गईं। एक प्रारंभिक बैठक जून और दूसरी जुलाई में। जुलाई में हुई बैठक में जब हुर्रियत व जेकेएलएफ के पूर्व आतंकी पकड़े गए तो उन्होंने ईद मिलन के बहाने जुटने की बात कही। हालांकि, तब पुलिस ने प्रारंभिक जांच में पाया था कि बैठक में शामिल कई लोग कश्मीर ग्लोबल सर्विस के सक्रिय सदस्य थे। साथ ही यह भी पता चला था कि पाकिस्तान में बैठे अलगाववादी नेताओं व आतंकियों के संपर्क में इनमें से कुछ सदस्य थे और उन्होंने ही इस बैठक का आयोजन किया था। सूत्रों का कहना है कि उनके मोबाइल फोन के कॉल डिटेल भी खंगाले गए थे जिसमें पाकिस्तानी नंबरों के साथ ही कुछ आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई थी।

2019 से ही अलगाववाद पर नकेल कसने की शुरू हो गई थी कवायद
दरअसल 370 हटने से पहले 2019 में ही अलगाववाद पर नकेल कसने की कवायद शुरू हो गई थी। केंद्र ने अलगाववाद की विचारधारा बोने के लिए जिम्मेदार संगठनों पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया था। इसके तहत पुलवामा हमले के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाकर केंद्र ने अलगाववादी ताकतों पर प्रहार करना शुरू कर दिया था। जमात को हिजबुल मुजाहिदीन का ब्रेन चाइल्ड माना जाता है। साथ ही घाटी में होने वाली हिंसा के लिए भड़काने के पीछे भी जमात का हाथ बताया जाता रहा है। इसके बाद जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाया गया।

चार दिन पहले मुस्लिम लीग पर पाबंदी लगाई गई। यह सारे संगठन अलगाववाद तथा आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में किसी न किसी रूप में शामिल रहे हैं। हुर्रियत को दोबारा जिंदा करने और समाज विरोधी गतिविधियों की पुख्ता सूचना के बाद अब तहरीक ए हुर्रियत पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे अलगाववाद की बात करने वालों पर शिकंजा कसेगा।

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