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    समलैंगिक विवाह पर बंटे जज, 3 ने किया विरोध; सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

  • October 17, 2023

    नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली 21 याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जोजों की पीठ ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है. पीठ के तीन जजों जस्टिस भट, जस्टिस कोहली और जस्टिस नरसिम्हा ने इसके विरोध में फैसला सुनाया, जबकि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस किशन कौन ने इसका समर्थन किया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसपर अब केंद्र सरकार से कमेटी बनाने को कहा है. सीजेआई ने साफ कहा है कि कानून बनाना कोर्ट का काम नहीं है.


    जानिए फैसले की बड़ी बातें.

    1. सबसे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ा. उन्होंने कहा कियह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल इसकी व्याख्या कर सकती है और इसे प्रभावी बना सकती है. यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा, किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है.
    2. सीजेआई ने साफ किया किस्पेशल मैरिज एक्ट की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है या नहीं, इसका फैसला संसद को करना है.जीवन साथी चुनने की क्षमता अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ी है. संबंधों के अधिकार में जीवन साथी चुनने का अधिकार और उसकी मान्यता शामिल है. इस तरह के संबंध को मान्यता नहीं देना भेदभाव है.
    3. सीजेआई ने कहा कि समलैंगिक लोगों सहित सभी को अपने जीवन की नैतिक गुणवत्ता का आकलन करने का अधिकार है. इस अदालत ने माना है कि समलैंगिक व्यक्तियों के साथ भेदभाव न किया जाना समानता की मांग है.कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विपरीत लिंग के जोड़े ही अच्छे माता-पिता साबित हो सकते हैं क्योंकि यह समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव होगा.
    4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा किकेंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि समलैंगिक समुदाय के साथ भेदभाव न हो. सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन की इजाजत उस उम्र तक न दी जाए जब तक इसके इच्छुक लोग इसके परिणाम को पूरी तरह समझने में सक्षम नहीं हों. सरकार समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए कदम उठाएं.
    5. सीजेआई ने पुलिस को समलैंगिक जोड़े के संबंधों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है, इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है.
    6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र समलैंगिक लोगों के अधिकारों के संबंध में फैसला करने के लिए पैनल बनाएगा. जस्टिस एसके कौल ने समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार दिए जाने को लेकर प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताई. जस्टिस कौल ने कहा किसमलैंगिक और विपरीत लिंग के संबंधों को एक ही सिक्के के दो पहलुओं के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा किसमलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा मे एक कदम है.
    7. जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट ने कहा कि मैं सीजेआई चंद्रचूड़ के कुछ विचारों से सहमत और कुछ से असहमत हूं. जस्टिस भट्ट ने कहा किसमलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है, देश के लिए ऐसे संबंधों से जुड़े अधिकारों को मान्यता देना बाध्यकारी नहीं हो सकता. जस्टिस भट्ट ने गोद लेने के समलैंगिक जोड़ों के अधिकार पर सीजेआई से असहमति जताई और कहा कि उन्होंने कुछ चिंताएं व्यक्त की हैं.
    8. जस्टिस भट्ट ने कहा कि कानून के अभाव में विवाह का कोई योग्य अधिकार नहीं है. जस्टिस भट्ट ने सीजेआई, जस्टिस कौल की इस बात से सहमति जताई कि संविधान में विवाह के किसी मौलिक अधिकार की गारंटी नहीं दी गई है. जस्टिस भट्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को बिना किसी बाधा और परेशानी के एक साथ रहने का अधिकार है. जस्टिस हिमा कोहली ने जस्टिस भट्ट के लिखे फैसले से सहमति जताई.

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