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Birthday Special: प्रेमिका के प्रेम में कवि बन गए कुमार विश्वास, आज दुनियाभर में बढ़ा रहे हिंदी का गौरव

डेस्क। ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है… मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है’ इन पक्तियों को सुन न जाने कितने ही दीवाने दिल धड़क उठते हैं। इन पक्तियों को रचने वाले युवा कवि का आज जन्मदिन है। नाम तो आप समझ ही गए होंगे! जी हां, हम बात कर रहे हैं कवि कुमार विश्वास की। कुमार विश्वास आज के दौर के सबसे चर्चित मंचीय कवि हैं। वह जितना खूबसूरत लिखते हैं, मंच पर उसी खूबसूरती से कविताओं को कहते भी हैं। कुमार विश्वास साहित्य की दुनिया के ऐसे नगीने हैं, जिन्होंने सिर्फ देश ही नहीं, दुनियाभर में हिंदी का मान बढ़ाया है। विदेशों में भी उनके कवि सम्मेलन के प्रति श्रोताओं में गजब का उत्साह देखने को मिलता है।

कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई। इसके बाद राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से इन्होंने 12वीं पास की। कुमार विश्वास के पिता की चाहत थी कि बेटा कवि बने, लेकिन इनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में ‘स्वर्ण पदक’ के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की। एमए करने के बाद उन्होंने ‘कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना’ विषय पर पीएचडी प्राप्त की। उनके इस शोधकार्य को वर्ष 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।


कुमार विश्वास के कवि बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, कुमार विश्वास के पिता को पसंद नहीं था कि बेटा कविता पाठ में जाए। एक इंटरव्यू में कुमार विश्वास ने जिक्र किया था, ‘एक बार कवि सम्मेलन से रात को घर पहुंचे, तो उनके पिताजी उनसे गुस्सा हो गए। गुस्से में बोले, ‘हां, इनके लिए बनाओ हलवा, ये सीमा से लड़कर जो आए हैं।’ पिता की यही बात कुमार विश्वास को चुभ गई और उन्होंने उसी समय ठान लिया कि अब इसी दिशा में आगे जाना है। शुरुआती दिनों में जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों से देर से लौटते थे। तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लिया करते थे। कुमार ने बताया कि उस दौर में कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब कविता को टीवी शो के लिए लाखों रुपये मिलेंगे।

विश्वास का कहना है कि उनकी जिंदगी में चार महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह चार महिलाएं हैं- उनकी मां, जिनसे उन्होंने गाने का सलीका सीखा, दूसरी बड़ी बहन से नाम मिला। तीसरी महिला- प्रेमिका जिसने उन्हें कवि बनाया और चौथी उनकी पत्नी, जिसने उन्हें एंटरप्रिन्योर बना दिया। बता दें कि धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था। वहीं प्रसिद्ध हिंदी गीतकार गोपालदास नीरज ने उन्हें ‘निशा-नियाम’ की संज्ञा दी थी। बता दें कि अगस्त, 2011 में कुमार विश्वास ‘जनलोकपाल आंदोलन’ के लिए गठित टीम अन्ना के लिए सक्रिय सदस्य रहे। कुमार विश्वास ने वर्ष 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, जिसमें बाजी नहीं मार पाए।

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