इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

भूमाफियाओं ने एक बार फिर बनाया दबाव-प्रभाव , संस्थाओं की मुहिम ठप करने के लिए तबादलों का भय

  • इंदौर सहकारिता विभाग को ही भोपाली नेताओं और अफसरों ने बनाया निशाना

इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं के खिलाफ चल रही जांच-पड़ताल भोपाल (Bhopal) में बैठे नेताओं (Minister) और अफसरों को पहले भी रास नहीं आती थी और अब एक बार फिर सहकारिता विभाग को निशाना बनाने का काम शुरू हो गया। विभाग के जितने भी पुराने और जानकार निरीक्षक और अंकेक्षक हैं, उनका तबादला (Transfer) इंदौर (Indore) से बाहर अन्य जिलों में कर दिया गया। कल 25 कर्मचारियों की तबादला सूची जारी की गई। उसमें इंदौर (Indore) सहकारिता विभाग के 11 निरीक्षक और अंकेक्षक शामिल हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि संस्थाओं के खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित किया जाए।



इंदौर (Indore) के जमीनी जादूगरों-भूमाफियाओं (sorcerers-landmasters)  की पकड़ भोपाल से दिल्ली तक रही है और यही कारण है कि पिछले कई वर्षों में इनके खिलाफ कई बार मुहिम चली, जो कभी भी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी और थोड़े दिन बाद शासन, प्रशासन, पुलिस व सहकारिता विभाग को दबाव में आना पड़ता है। भोपाल  (Bhopal) में बैठे सहकारिता मंत्री से लेकर अफसर पहले भी कई तरह के अड़ंगे संस्थाओं की जांच में डालते रहे हैं। अभी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर कलेक्टर मनीष सिंह
(Collector Manish Singh) ने संस्थाओं के घोटालों की जांच शुरू कर भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। हालांकि सहकारिता विभाग के भी अधिकारी-कर्मचारी कम दोषी नहीं हैं। मगर अब बदले समय के हिसाब से वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं, क्योंकि कलेक्टर लगातार मॉनिटरिंग तो कर ही रहे हैं, वहीं उन्हें अन्य दबाव-प्रभाव से बचाते भी रहे हैं। पिछले दिनों उपायुक्त मदन गजभिये का ही तबादला इसी तरह करवा दिया था, लेकिन कलेक्टर ने कुछ ही दिनों बाद फिर गजभिये की नियुक्ति इंदौर में करवा दी। अभी सहकारिता विभाग में वैसे भी स्टाफ की कमी है, जो संस्थाओं में हुए घोटालों के जानकार हैं। उन्हें इंदौर से तबादला कर बाहर भेज दिया गया। संजय कौशल, वरिष्ठ निरीक्षक संतोष जोशी, प्रवीण जैन, जगदीश जलोदिया से लेकर अन्य के तबादलेे इसीलिए किए गए, क्योंकि इन पुराने लोगों को संस्थाओं में हुई तमाम गड़बडिय़ों की पूरी जानकारी है, जिसके चलते भूमाफियाओं को परेशानी हो रही है, क्योंकि दस्तावेजों से लेकर मीडिया में उनकी पोलपट्टी खुल रही है। लिहाजा जानकारों को हटाकर दबाव बनाया जा रहा है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर इतने तबादले एक साथ काम करने वालों के कर दिए गए तो फिर मुहिम का औचित्य ही क्या रह जाएगा।

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