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भारतीय छात्रों की पढ़ाई को लेकर यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से सीधी डील कर रही महाराष्ट्र सरकार

नई दिल्ली। युद्धरत यूक्रेन (War torn Ukraine) में चारों ओर से बमों के गोले बरस रहे हैं. मौत कब किस ओर से आ जाए, कोई नहीं जानता. इस कठिन परिस्थिति में सैकड़ों भारतीय अब भी मुश्किल हालात में फंसे हुए हैं. इन्हें निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत भारत सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन महाराष्ट्र की उद्धव सरकार (Maharashtra Government) सीधे यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से बातकर राज्य में आने वाले छात्रों की मदद करना चाहती है. इसके लिए सभी विकल्पों की संभावनाओं पर विचार कर रही है. राज्य के शिक्षा मंत्री अमित देशमुख (Amit Deshmukh) ने बताया, हम राज्य यूनिवर्सिटी के अधिकार के तहत इस तरह के विकल्पों पर यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से सीधी बातचीत कर रहे हैं.

हालांकि इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को नेशनल मेडिकल काउंसिल (National medical council) और भारत सरकार (Union government) की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी. कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (Maharashtra University of health science) ने यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के डिटेल्स मांगे थे. इसके बाद महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने यह बयान दिया है. अमित देशमुख ने कहा, हम इस बात की संभावनओं का पता लगा रहे हैं कि क्या हम उन छात्रों को तत्कालिक रूप से कोई मदद सीधे पहुंचा सकते हैं जो महाराष्ट्र वापस आना चाहते हैं. इस संबंध में मैंने एमयूएचएस के वाइस चांसलर को सलाह दी है कि वे सीधे यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से संपर्क करें और उनसे पूछे कि वे इस बारे में क्या सोच रहे हैं।


तात्कालिक मदद पर बात
अमित देशमुख ने कहा कि हम छात्रों के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं और यूक्रेन की यूनविर्सिटी से यह जानने की कोशश कर रहे है कि यह पढ़ाई ऑनलाइन मोड में हो सकता है या नहीं. या इनकी परीक्षा का क्या होगा? ये अपनी पढ़ाई कैसे पूरी करेंगे? हम यह जानने की भी कोशिश कर रहे हैं कि अगर यूक्रेन में युद्ध की स्थिति बहुत दिनों तक बनी रही तो क्या होगा और अगर सामान्य हालात हो जाते हैं तो क्या होगा? अमित देशमुख ने बताया, जब तक हम ये सब बातें जान नहीं लेते तब तक हम उनकी मदद कैसे कर पाएंगे.

एनएमसी और भारत सरकार की मंजूरी जरूरी
मंत्री ने कहा, हमें यह नहीं पता कि युद्ध कब खत्म होगा. इसलिए हम इस तरह की योजना पर संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं. फिलहाल में हम छात्रों और उनके पैरेंट्स को नैतिक समर्थन दे रहे हैं लेकिन उन्हें अन्य चीजों की भी दरकार होगी. देशमुख ने कहा, हालांकि यह अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है. लेकिन जहां तक यूनिवर्सिटी स्तर की बात है तो इसके लिए सीधे यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से डील की जा सकती है. हम एनएमसी और मंत्रालय से अपडेट ले रहे हैं. लेकिन हमें उनकी बेहतर मदद के लिए एनएमसी और भारत सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।

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