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ममता सरकार पर 2 लाख 29 हजार करोड़ हेरफेर का आरोप, CAG को पार्टी बनाने का HC का आदेश

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों से विपक्ष विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में राज्य की भूमिका पर सवाल उठा रहा है. राज्य के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य में केंद्र के धन का गबन कर रहा है. मामले की सुनवाई मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश की खंडपीठ में हुई. केंद्र से मिले 2 लाख 29 हजार करोड़ रुपए का कोई हिसाब नहीं रखने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने उस मामले में सीएजी (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) और राज्य के वित्त सचिव को शामिल करने का आदेश दिया. बीजेपी नेता जगन्नाथ चटर्जी ने कुछ हफ्ते पहले राज्य के खिलाफ यह मामला दर्ज कराया था. मुख्य शिकायत यह है कि राज्य के लोक निर्माण एवं शहरी विकास विभाग, शिक्षा विभाग और पंचायत विभाग को पैसा डायवर्ट किया गया है.

ममता सरकार पर सेंट्रल फंड में हेरफेर का लगा आरोप
कलकत्ता हाई कोर्ट में पिछले गुरुवार को मामला दायर किया गया था. अर्जी में कहा गया था कि 31 मार्च 2021 को कैग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र द्वारा बंगाल में विभिन्न परियोजनाओं को भेजे गए करोड़ों रुपए के खातों का मिलान नहीं हो रहा है. इस संबंध में वादकारियों ने कोर्ट को लेखा-जोखा दिया और कहा कि पिछले कुछ वित्तीय वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार से राज्य सरकार को मिले धन में से 2 लाख 29 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिला है.

जनहित मामले में कैग की रिपोर्ट के आधार पर इस वित्तीय अनियमितता की सीबीआई जांच का अनुरोध किया गया था. आरोप लगाया गया था कि लोगों की भलाई के लिए भेजा गया पैसा लूट लिया गया है. इसलिए इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए. मंगलवार को चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि मामले की सुनवाई 30 जनवरी को हो सकती है.


सेंट्रल द्वारा भेजे गये पैसे अन्यत्र खर्च करने का लगा आरोप
इससे पहले राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी राज्य को दिए गए केंद्र के पैसे को अन्य क्षेत्रों में खर्च करने को लेकर मुखर रहे थे. इस जनहित मामले में भी वादकारियों ने कहा कि इस बेहिसाब धन में नगर पालिका और शहरी विकास विभाग के 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक शामिल हैं. केंद्र को पंचायत और ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए दिए गए 81 हजार 839 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं रखा गया. शिक्षा क्षेत्र में बेहिसाब धन की राशि 36 हजार करोड़ रुपए से अधिक है.

पंचायत चुनाव के पहले सेंट्रल फंड में गड़बड़ी को मुद्दा बना रही है बीजेपी
यह भी दावा किया गया है कि केंद्र द्वारा भेजे गए पैसे का किसी भी क्षेत्र में खर्च किए जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. वादी का दावा है कि सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है. तो कोर्ट ने सीएजी को पार्टी बनाने की बात कही है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राज्य आवास योजना को लेकर बार-बार शिकायतें आ रही हैं.

आवास ही नहीं, विभिन्न परियोजनाओं में क्या चल रहा है, इसकी जांच के लिए केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल कई बार राज्य में आ चुका है. उन्होंने विभिन्न जिलों का दौरा किया है. जानकार सूत्रों के मुताबिक इस बार पंचायत चुनाव से पहले यह मामला काफी अहम है. इस मामले को लेकर मेयर फिरहाद हाकिम ने दावा किया कि भाजपा इन सभी मामलों से कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है. उन्होंने दावा किया कि इस तरह से कोई जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है.

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