इंदौर न्यूज़ (Indore News)

कलेक्टर के रूप में मनीष सिंह का एक साल पूरा, छोड़ी अलग छाप

पहले स्वच्छता में सिरमौर बनाया… अब सुरक्षा का बीड़ा उठाया
इन्दौर, राजेश ज्वेल।  कलेक्टर ((Collector) के रूप में मनीषसिंह (Manish Singh) का एक साल पूरा हो गया… इन्दौर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके मनीषसिंह (Manish Singh) को जहां पहले शहर को स्वच्छता में सिरमौर बनाने का श्रेय जाता है, वहीं अब इंदौर को सुरक्षित और हर तरह के माफिया (mafia)  से मुक्त बनाने की जंग जारी है। पहली बार भूमाफियाओं (land mafia) के चंगुल से हजारों करोड़ की बेशकीमती जमीनें छुड़वाने के साथ-साथ भूखंड पीडि़तों (plot victims) को लगातार कब्जे दिलवाने की एक बड़ी मुहिम उनके द्वारा चलाई जा रही है, जिसकी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान Chief Minister Shivraj Singh Chauhan ने न केवल दिल खोलकर प्रशंसा की, बल्कि प्रदेश के सभी कलेक्टरों से इन्दौर की तर्ज पर भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाने को भी कहा।


सरकार बदलते ही इन्दौर में कोरोना संक्रमण (corona infection) एकाएक तेजी से फैला, जिसे नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री ने अपने विश्वसनीय अधिकारी मनीषसिंह (Manish Singh) को कलेक्टर के रूप में भेजा, क्योंकि वे शहर के मिजाज से भलीभांति परिचित थे। इन्दौर में एसडीएम, एडीएम, मंडी सचिव, एकेवीएन एमडी, प्राधिकरण सीईओ से लेकर नगर निगम आयुक्त के रूप में मनीषसिंह का कार्यकाल बेदाग और शानदार रहा, जिसके चलते उन्हें प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इन्दौर की बागडोर सौंपी गई। यहां आते ही उन्हें कोरोना से जंग शुरू करना पड़ी और उसके बाद जब हालात सामान्य हुए तो फिर कुछ कर गुजरने के अपने मिजाज के चलते मिलावटखोरों, राशन माफिया, रेत खनन से लेकर ड्रग और भूमाफियाओं (Land mafia)  के खिलाफ ऐसा अभियान शुरू किया कि गुंडों की रूह कांप गई। उनके मकान, दुकान जमींदोज किए गए। गरीबों का राशन हड़पने वाले, रेत और खनन, मिलावटी और ड्रग माफिया के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की गई। फिर गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े का पिटारा खोला गया और पहली बार माफियाओं पर कार्रवाई के साथ ही उनके चंगुल से हजारों करोड़ रुपए की जमीनें निकालकर भूखंड पीडि़तों में बंटवाना भी शुरू कर दीं। इसके चलते पहली बार पीडि़तों को असल न्याय मिलने लगा। अपने एक साल के कार्यकाल में कलेक्टर के रूप में मनीषसिंह (Manish Singh) ने अलग छाप छोड़ी है। गरीबों, जरूरतमंदों और आम आदमी के लिए वे जहां विनम्र, कोमल और मददगार साबित हुए हैं, वहीं दुष्टों, माफियाओं के खिलाफ कठोरतम फैसले लेने से भी पीछे नहीं हटे। इसके चलते वे देश और प्रदेश के उन चुनिंदा आईएएस अफसरों में शुमार किए जाते हैं, जो हर मोर्चे पर अपनी अलग कार्यशैली से बेहतर से बेहतर परिणाम देते रहे हैं। इन्दौर से चूंकि उनका विशेष जुड़ाव और लगाव रहा है और विभिन्न पदों पर पदस्थ रहने के दौरान वे उसकी रग-रग से वाकिफ हैं और उनका खुद का व्यक्तिगत तगड़ा नेटवर्क भी है, इसके चलते उन्हें हर तरह की सूचनाएं मिल जाती हैं। अपने खुद के दफ्तर, यानी कलेक्टोरेट को भी उन्होंने दलालों से मुक्त कराया और नगर निगम, इन्दौर विकास प्राधिकरण, नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर अन्य सभी विभागों में भी बिना लेन-देन कार्य करवाने की संस्कृति विकसित करवाई। यही कारण है कि राजस्व से जुड़े 50 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण एक साल से कम अवधि में हो गया, क्योंकि आधा समय तो कोरोना और उपचुनाव में ही निकल गया। यह पहला मौका है, जब शहर के हर वर्ग, मीडिया, जनप्रतिनिधियों से लेकर सभी का सहयोग वे अपनी हर मुहिम में बखूबी लेते हैं, जिसके चलते जनता से जुड़ी समस्याएं, विकास कार्य और अन्य निर्णय भी आसानी से हो जाते हैं। इन्दौर में इसके पूर्व भी कई कलेक्टर रहे हैं, जिनकी अपनी खासियतें भी रहीं, लेकिन उन सबसे जुदा मनीषसिंह ने नि:संदेह अपनी अलग छाप छोड़ी है और कहा जा सकता है कि वे अब तक के इन्दौर के तमाम कलेक्टरों से बेहतर प्रशासनिक मुखिया साबित हुए हैं।


मुख्यमंत्री का कायम रखा भरोसा
जंगी अफसर के रूप में मुख्यमंत्री को जो भरोसा मनीषसिंह (Manish Singh) पर था वह उन्होंने न केवल कायम रखा, बल्कि उससे आगे बढक़र काम दिखाते हुए कोरोना की जंग में सफल साबित हुए। वहीं माफियाओं को पस्त करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने न केवल उनकी तारीफ की, बल्कि पूरे प्रदेश के कलेक्टरों को निर्देश भी दिलवाए।


विरोधी भी मानते हैं कार्यशैली का लोहा
एक कुशल प्रशासक होने के अलावा मनीषसिंह (Manish Singh) की छवि दबंग, तेजतर्रार, कठोर निर्णय लेने वाले अफसर के रूप में होती है। वे किसी दबाव-प्रभाव में नहीं आते और जो कानूनसम्मत व जनता के हित में होता है अमल में लाते हैं। यही कारण है कि उनकी पूरी टीम भी उसी मुस्तैदी के साथ काम में जुटी रहती है, क्योंकि उन्हें पता है कि एक चूक भी साहब बर्दाश्त नहीं करेंगे। दूसरी तरफ उनके निर्णयों से प्रभावित होने वाले लोग आलोचना भी करते हैं, लेकिन कार्यशैली का लोहा विरोधी भी मानते हैं।

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