ब्‍लॉगर

प्रधानमंत्री मोदी की अरब यात्रा का संदेश

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

कुछ दिन पहले एक विवादित बयान पर करीब एक दर्जन इस्लामी देशों ने आपत्ति दर्ज की थी। लेकिन भारत सरकार के जवाब पर उन्होंने विश्वास व्यक्त किया। इसके बाद उन देशों ने अपने यहां प्रदर्शन करने वालों पर कठोरता से नकेल कसी। कुवैत सहित कई मुल्कों ने उपद्रव करने वाले विदेशियों का तत्काल वीजा निरस्त कर दिया था। इस प्रकार उन्होंने चंद लम्हों में ही इस समस्या का समाधान कर लिया था। भारत में सेक्युलरिज्म की दुहाई देने वाली सरकारों के लिए यह एक सबक था। लेकिन इन्होंने अपनी वोटबैंक सियासत को छोड़ना मुनासिब नहीं समझा। इसलिए अभी तक इन राज्यों में तनाव बना हुआ है। वैसे इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संयुक्त अरब अमीरात यात्रा बहुत महत्वपूर्ण रही। इसका सकारात्मक संदेश सभी अरब देशों तक पहुंचा है। नरेन्द्र मोदी को अपने मुल्क का सर्वोच्च सम्मान देने वाले मुस्लिम देश संतुष्ट हैं। क्योंकि उन्होंने सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास नीति पर अमल करने वाले दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता का सम्मान किया था।

भारत की कथित सेक्युलर पार्टियां इस तथ्य को समझ नहीं सकतीं। नरेंद्र मोदी की जर्मनी यात्रा का कार्यक्रम कई महीने पहले बना था। उनको वहां के चांसलर ने जी 7 शिखर सम्मेलन में सहभागी होने के लिए आमंत्रित किया था। उस समय जर्मनी से लौटते समय उनका संयुक्त अरब अमीरात में रुकने का कार्यक्रम नहीं था। पिछले महीने वहां के राष्ट्रपति का निधन हो गया। नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली और विदेश नीति का अपना अनोखा अंदाज है। उन्होंने जर्मनी से लौटते समय संयुक्त अरब अमीरात में रुकने का कार्यक्रम बनाया। इसी प्रकार पिछले कार्यकाल में विदेश यात्रा से लौटते समय वह तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। नवाज शरीफ ने उनको विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस प्रकार नरेन्द्र मोदी विदेश नीति में राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च मानते हुए कार्य करते हैं।

पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार रहती तो दोनों देशों के बीच संबंध समान्य हो सकते थे। संयुक्त अरब अमीरात में मोदी का स्वागत बड़ी भावुकता के साथ किया गया। वहां नरेन्द्र मोदी की यात्रा को बहुत महत्व दिया गया। उनकी यात्रा का कोई राजनयिक, राजनीतिक और अर्थिक मुद्दा नहीं था। वह पूर्व राष्ट्रपति के प्रति भारत की संवेदना प्रकट करने गए थे। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व राष्ट्रपति और अबू धाबी शासक शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त किया। हवाई अड्डे पर मोदी का स्वागत पूर्व राष्ट्रपति के भाई शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने किया। इसे स्पेशल गेस्चर कहा गया। इतना ही नहीं शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ शाही परिवार के अन्य सदस्य भी मोदी से मिलने और बातचीत करने के लिए हवाई अड्डे पर पहुंचे।

नरेन्द्र मोदी ने पिछले कार्यकाल में ही इजरायल और अरब देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने पर ध्यान दिया था। यह नीति कारगर साबित हुई। मोदी के सौर ऊर्जा प्रस्ताव को भी अरब देशों का समर्थन मिला था। इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ में मोदी के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अरब देशों ने भी स्वीकार किया था। इस दिन वहां भी बड़े पैमाने पर योग के कार्यक्रम होते हैं। इन्हीं मुस्लिम देशों ने इकहत्तर के युद्ध में पाकिस्तान को खुला समर्थन दिया था। कुछ देशों ने कहा था कि पाकिस्तान, भारत के खिलाफ एक हजार वर्ष तक लड़ेगा तब भी उसे समर्थन मिलता रहेगा।

मोदी की मध्यपूर्व नीति की बड़ी सफलता यह भी है कि उन्होंने अरब मुल्कों और इजरायल के साथ दोस्ती को मजबूत किया। इसके पहले कांग्रेस की सरकारों में इजरायल से दोस्ती को लेकर बड़ा संकोच था। उन्हें लगता था कि इजरायल के साथ दोस्ती मुस्लिम देशों को नाराज कर देगी। मोदी ने साहस दिखाया। अरब और इजरायल दोनों से संबन्ध बेहतर बनाकर दिखा दिया। इस नीति का परिणाम था कि करीब तीन वर्ष पूर्व भारत को इस्लामिक सहयोग संगठन के सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इस्लामिक सहयोग संगठन अर्थात ओआईसी का गठन उन्नीस सौ उनहत्तर में किया गया था। सत्तावन मुल्क इसके सदस्य हैं।

भारत ने सदैव विश्व शांति और मानवता की बात कही है। आतंकवाद ने इन दोनों के सामने चुनौती पेश की है। यदि दुनिया में शांति, सौहार्द कायम करना है, मानवता को सुरक्षित रखना है तो आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति बनानी होगी। इसमें सभी देशों का सहयोग अपरिहार्य है। क्योंकि आतंकवाद अब किसी एक क्षेत्र की समस्या नहीं है। आतंकवाद सारी दुनिया के लिए खतरा है। उसे पनाह देना और फंडिंग को बंद करना चाहिए। आतंकवाद और आतंकी तौर तरीकों का विस्तार हो रहा है। राजस्थान की घटना इसका प्रमाण है। आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। उसे संरक्षण और वित्तीय सहायता देने वालों पर कड़ाई से रोक लगानी होगी।

ओआईसी के सदस्य देश इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन देशों पर दबाव बनाया जाए जो इसका समर्थन करते हैं और इसे फंडिंग करते हैं। ऐसे देशों से कहना चाहिए कि वह आतंकवादी ढांचे को खत्म करे। भारत ज्ञान का भंडार, शांति का दूत और आस्था व परम्पराओं का स्रोत रहा है। बहुत-से धर्मों का घर रहा है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक है। ओआईसी की स्थापना के समय इसका उद्देश्य बताया गया था कि इसमें अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भावना को बढ़ावा देने की बात कही गई थी। आतंकवाद शांति और सद्भावना को कमजोर कर रहा है। ऐसे में ओआईसी को विचार करना होगा कि वह अपने इस उद्देश्य में कितना सफल हो रहा है। जबकि समस्या उसी का एक संस्थापक देश बढ़ा रहा है।

पचास वर्ष पहले इसके सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल फखरुद्दीन अली अहमद के नेतृत्व में गया था। लेकिन पाकिस्तान ने विरोध किया, इसके कारण भारतीय प्रतिनिधिमंडल को वहां प्रवेश तक नहीं मिला। उसे लौटना पड़ा था। नरेन्द्र मोदी की यूएई राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल से वार्ता भी हुई। भारत यूएई के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की गई। इस अवसर पर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहन्नौ बिन जायद अल नाहयान,उप प्रधानमंत्री शेख मंसूर बिन जायद अल नाहयान,अबू धाबी निवेश प्राधिकरण के एमडी शेख हमीद बिन जायद अल नाहयान, विदेश मामलों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान सहित अन्य गण्यमान्य लोग उपस्थित थे। मोदी ने अल नाहयान को संयुक्त अरब अमीरात के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने और अबू धाबी के शासक बनने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान संयुक्त अरब अमीरात में पैंतीस लाख भारतीय समुदाय की देखभाल करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने शेख नाहयान को भारत आने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

2015 में प्रधानमंत्री की यूएई की पिछली यात्रा के दौरान एक व्यापक रणनीतिक भागीदारी के साथ और प्रगाढ़ हो गए। फरवरी 2018 में प्रधानमंत्री ने विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस, महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान फरवरी 2016 में भारत और फिर जनवरी, 2017 के दौरान गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए थे। 2019 में अबू धाबी की यात्रा पर आए थे। तब दोनों देशों के बीच पारस्परिक हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों विचार-विमर्श किया गया था। वहां नरेन्द्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया था। इससे पहले मोदी अगस्त 2019 में संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर गए थे। इस यात्रा में उन्हें यूएई के राष्ट्रपति की ओर से यूएई का सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था। यूएई के संस्थापक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के नाम पर यह पुरस्कार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह शेख जायद की जन्म शताब्दी के वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी को प्रदान किया गया था।

भारत और यूएई के बीच सांस्कृतिक,धार्मिक और आर्थिक क्षेत्र में बेहतर संबंध हैं। लगभग साठ बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार के साथ संयुक्त अरब अमीरात हमारा तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। यूएई भारत के लिए कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। नरेन्द्र मोदी की संक्षिप्त संयुक्त अरब अमीरात से मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। भारत सरकार ने शेख खलीफा के निधन के बाद एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा भी की थी। शेख खलीफा संयुक्त अरब अमीरात के संस्थापक राष्ट्रपति शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान के सबसे बड़े बेटे थे। शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान ने 3 नवंबर, 2004 से अपनी मृत्यु तक संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में काम किया।उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पिछले महीने संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था। नायडू ने भी शेख खलीफा के निधन पर संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व के प्रति संवेदना व्यक्त की थी।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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