नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है। इस बीच अमेरिकी वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने अपनी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज जनवरी से भारत में बेचने की पेशकश की है। हालांकि सरकार की अभी मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन के साथ इंडेम्निटी यानी क्षतिपूर्ति पर छूट को लेकर बातचीत चल ही रही है। इस बातचीत में अभी 200 मिलियन डोज की बिक्री शामिल है। इसमें फाइजर की 50 मिलियन, जॉनसन ऐंड जॉनसन की 70 मिलियन और मॉडर्ना की 50 मिलियन डोज शामिल हैं।
सरकार और इन वैक्सीन कंपनियों के बीच हो रही बातचीत से पता चलता है कि वैक्सीन की आपूर्ति भविष्य में होनी है जिसका मतलब है कि इसका असर भारत के कोरोना वैक्सीन को लेकर अनुमानित बजट पर भी पड़ेगा जो फिलहाल 45,000-50,000 करोड़ रुपये है। लेटेस्ट अमेरिकी ऑफर जिसमें भारत के लिए करीब 8 करोड़ डोज शामिल हैं, अगर इसकी डिलीवरी जल्दी हो तो यह काफी मददगार साबित हो सकता है। अगस्त से कोरोना वैक्सीन के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उन्हें अभी इसका इंतजार है कि अमेरिका की ओर मिलने वाली टीकों के 25 मिलियन डोज की पहली खेप में कितने टीके दान किए जाएंगे। अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो ये टीके फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन की होंगी।
MEA प्रवक्ता ने बताया कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक के निर्माताओं की तरह भारत बायोटेक ने भी कोवैक्सीन के लिए WHO से इमर्जेंसी यूज लिस्टिंग (EUL)की मांग की है। कोवैक्सीन लगवाने वाले भारतीयों को विदेशों में परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है, पूछे जाने पर MEA प्रवक्ता ने कहा- विदेशों में भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए हम काम कर रहे हैं। हम लगातार इस मुद्दे को संबंधित सरकारों के साथ उठा रहे हैं।
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