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मां चलाती थीं पेट्रोल पंप, 22 की उम्र में Swati Meena बनी IAS; दबंग छवि से माफिया भी खाते हैं खौफ

नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा (UPSC Exam) पास करना कई छात्रों का सपना होता है, लेकिन कुछ लोगों के इसमें सफलता मिलती है. सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले लाखों में से करीब 0.2 प्रतिशत कैंडिडेट्स का ही चयन हो पाता है. आज हम आपको आईएएस अफसर स्वाति मीणा (IAS Officer Swati Meena) के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने महज 22 साल की उम्र में यूपीएससी एग्जाम क्लियर कर लिया था और अपने बैच की सबसे कम उम्र की आईएएस अधिकारी बनी थीं.

मां चाहती थीं डॉक्टर बनें स्वाति
राजस्थान में पैदा हुईं स्वाति मीणा (Swati Meena) की पढ़ाई अजमेर से हुई. स्वाति की मां हमेशा से चाहती थीं कि वह डॉक्टर बनें और स्वाति को भी डॉक्टर बनने में कोई दिक्कत नहीं थी. हालांकि जब वह 8वीं क्लास में थीं, तब उनकी मां की एक कजन अधिकारी बनीं और यहीं से स्वाति की लाइफ में बड़ा बदलाव आया.


ऐसे लिया आईएएस बनने का फैसला
स्वाति मीणा (Swati Meena) के पिता जब उनकी अधिकारी मौसी से मिले तो काफी खुश दिखे. पिता की खुशी देखकर स्वाति के मन में यूपीएससी का ख्याल आया और उन्होंने इस बारे में बात की. स्वाति ने जब सिविल सेवक बनने का फैसला किया तो उनके पिता ने उनके फैसले का समर्थन किया.

मां चलाती थीं पेट्रोल पंप, पिता ने कराई तैयारी
DNA में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जब स्वाति मीणा (Swati Meena) की मां पेट्रोल पंप चलाती थीं तो उनके पिता स्वाति की लगातार मदद करते रहे. उनके पिता ने स्वाति की लगातार तैयारी करवाई और इसके लिए उन्होंने कई इंटरव्यू भी लिए ताकि बेटी बेहतर तैयारी कर सके.

कड़ी मेहनत के बाद स्वाति ने 2007 में आयोजित यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया में 260वीं रैंक हासिल की और आईएएस अफसर बनीं. वह उस बैच की सबसे कम उम्र की आईएएस थीं. इसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला.

दबंग अफसर के रूप में रही है पहचान
आईएएस अफसर स्वाति मीणा (IAS Officer Swati Meena) एक निडर और दबंग अफसर के रूप में जानी जाती हैं और मध्य प्रदेश के मंडला में पोस्टिंग के दौरान खनन माफियाओं पर उन्होंने कार्रवाई की. जब स्वाति मीणा मंडला में कलेक्टर बनकर पहुंचीं तो खनन माफिया के बारे में कई विभागों से शिकायत मिली, जिसके आधार पर उन्होंने कार्रवाई की.

इसके बाद से खनन माफिया खौफ खाने लगे. इसी तरह खंडवा में भी स्वाति का कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण रहा. सिमी के मारे गए आतंकियों का शव जब उनके क्षेत्र में पहुंचा तो उपद्रवी तत्वों ने हंगामा करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन के साथ मिलकर स्वाति मीणा ने ये चुनौतीपूर्ण काम भी आसानी से पार कर लिया था.

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