भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थ-व्यवस्था बनाने में मप्र देगा 550 बिलियन डॉलर का योगदान

  • नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा
  • तेजी से आगे बढ़ते मध्यप्रदेश ने हासिल की 19.74 प्रतिशत विकास दर

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थ-व्यवस्था बनाने के लिए मध्यप्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश 21वीं सदी के आत्म-निर्भर भारत के प्रधानमंत्री के व्यापक विजन को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत के निर्माण में नीति आयोग की बड़ी भूमिका है। नीति आयोग किस तरह राज्यों की ताकत बनता है, मध्यप्रदेश उसका ज्वलंत उदाहरण है। मुख्यमंत्री रविवार को राष्ट्रपति भवन में नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की।

तेजी से आगे बढ़ता मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2020 में ही आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप विकसित कर लिया गया था। मध्यप्रदेश ने वर्ष 2021-22 में 19.74 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। प्रदेश सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत पूंजीगत व्यय कर रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय हेतु 48 हजार 800 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री ने बताया कि रोजगार हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और अगले एक वर्ष में एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की जायेगी। उन्होंने बताया कि हितग्राही मूलक योजनाओं में शत-प्रतिशत सेचुरेशन के लिए विशेष अभियान चलाये जायेंगे।


कृषि विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के फसल विविधीकरण दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए प्रदेश में सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग के रकबे में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में गेहूँ और धान के स्थान पर कृषि विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के माध्यम से दाल, रागी, जौ, मोटे अनाज, कोदो-कुटकी, रामतिल, तिल, मसाले, औषधीय फसलें, फलों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना में आईटीसी, पतंजलि, देहात जैसी प्राइवेट कम्पनियों से एक लाख 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि विविधीकरण में 13 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से दो प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी गई है।

डिजिटल एग्रीकल्चर के प्रयोग
खेती में आधुनिक तकनीक के उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि फसल बीमा पंजीयन को राज्य के लैण्ड रिकार्ड से जोड़ा गया है, जिससे ओवर और डुप्लीकेट इन्श्योरेंस को रोकने में सफलता मिली है। साथ ही बीमा भुगतान में उपज आकलन के लिए सेटलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी के इन प्रभावी उपयोग से कृषि सेक्टर में लगभग 2500 करोड़ रूपये की बचत संभावित है। किसानों और राजस्व अमले की सुविधा के लिए ई-गिरदावरी एप्लीकेशन लागू कर दिया गया है।

सुशासन के क्षेत्र में विशेष पहल
मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में सुशासन की दिशा में की जा रही पहलों की जानकारी देते हुए बताया कि देश में पहली बार प्रदेश में राज्य सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया है, जिसके द्वारा विकासखण्ड से लेकर राज्य स्तर तक आंकड़ों को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य किया जायेगा। नीति आयोग के सहयोग से मध्यप्रदेश नीति एवं योजना आयोग में एक वर्टिकल बना कर विभिन्न योजनाओं के प्रभाव आकलन हेतु विशेष कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में 50 आकांक्षी विकासखण्डों का निर्धारण कर उनके विकास का तंत्र विकसित किया गया है। प्रदेश में नई जल नीति और नई सहकारिता नीति का भी निर्माण किया जा रहा है।

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