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सरकारी कामकाज में तेजी लाने के लिए नियमों में सुधार की जरुरत

नई दिल्ली। सरकारी कामकाज में तेजी और पारदर्शिता लाने के लिए आर्थिक समीक्षा में नियमों और प्रक्रियागत सुधारों के सरलीकरण का सुझाव दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा है कि समस्याओं को कम करने के प्रयास के परिणामस्वरूप अक्सर अधिक जटिल गैर-पारदर्शी नियम बनते हैं। समीक्षा में कहा गया है कि देश में प्रशासनिक प्रक्रियाएं अक­सर प्रक्रियागत देरी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में नियम संबंधी अन्य जटिलताओं से भरी होती है, जिसके कारण वे सभी साझेदारों के लिए प्रभावहीन और कठिन बना देती हैं। समीक्षा में इस समस्या को उजागर किया गया है और इस प्रशासनिक चुनौती का समाधान निकालने के तरीकों की सिफारिश की गई है।

समीक्षा में कहा गया है कि समस्याओं के समाधान निकालने के लिए प्राधिकारी अक्सर अधिक जटिल नियमों में कम विवेक से काम लेते हैं, जिसके कारण प्रतिकूल परिणाम होते हैं और अधिक गैर-पारदर्शी तरीके सामने आते हैं। आर्थिक समीक्षा के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई तुलनाएं दर्शाती हैं कि भारत की प्रशासनिक प्रक्रियाओं की समस­याएं प्रक्रिया अथवा नियामक मानकों का पालन नहीं करने की तुलना में अधिक नियम बनाने से उत्पन्न होती हैं।

समीक्षा में कहा गया है कि ऐसे नियमों का होना संभव नहीं है, जो केवल दुनिया की सभी अनिश्चितताओं और सभी संभावित परिणामों का लेखा रखे। सबूतों से पता चलता है कि भारत में अर्थव्यवस्था अधिक नियमों से चलाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रक्रिया के अच्छी तरह पालन के बावजूद नियम गैर-प्रभावी हो जाते हैं। ‘अधूरे अनुबंधों’ की रूपरेखा का इस्तेमाल करते हुए, आर्थिक समीक्षा में दलील दी गई है कि भारतीय प्रशासनिक प्रक्रियाओं में जरूरत से ज्यादा नियमों के होने और जटिलता की समस्या संपूर्ण नियमों पर विशेष जोर देने से उत्पन्न होती है।

ऐसा ‘नियमों’ और ‘निगरानी’ के बीच अंतर को पूरी तरह समझा नहीं जाता और दूसरी तरफ अधूरे नियमों की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न होती है। इसकी जानकारी भारत में एक कंपनी को स्वेच्छा से बंद करने के लिए आवश्यक समय और प्रक्रिया के संबंध में हुए एक अध्ययन से प्राप्त हुई है। यहां तक कि जबकि कोई विवाद/मुकदमेबाजी नहीं है और हर प्रकार की कागजी कार्रवाई पूरी है, तब भी रिकॉर्डों से हटाने में 1570 दिन लगते हैं। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि समाधान अधिक जटिल नियमों के साथ निगरानी से बचना है।

अंतिम समाधान सरल नियम बनाना है, जो पारदर्शी निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़े हों। सरकार के नीति निर्माताओं को विवेकाधिकार प्रदान करने के साथ यह जरूरी है कि इन­हे तीन बातों के साथ संतुलित किया जाए। इनमें बेहतर पारदर्शिता संभावित पूर्वानुमानों पर आधारित भविष्य की घटनाओं की मजबूत प्रणाली और घटना से पूर्व समाधान निकालने की व्यवस्था शामिल है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जहां कहीं भी ऐसी नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, व्यवसाय की सुगमता में पर्याप­त सुधार आएगा। इस अध्याय में बताया गया है कि इस प्रकार से सरकार के नये ई-मार्केट प्लेस ने सरकारी खरीद में मूल्य निर्धारित करने में पारदर्शिता बढ़ाई है। इसने न केवल खरीद की लागत कम की है, बल्कि ईमानदार सरकारी अधिकारियों के लिए फैसले लेना आसान बना दिया है।

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