देवबंद (Deoband) । अनार के पेड़ की छांव से दीनी तालीम आरंभ करने वाला दारुल उलूम (Darul Uloom) अब शीघ्र ही इस्लामिक तालीम की इबारत नई इमारत (New building) से आगे बढ़ाएगा। अब संस्था की नई इमारत की तैयारी अंतिम चरण में हैं, जिसके चलते संस्था अगले एक-दो वर्षों में राजस्थान से मंगाए गए लाखों घनफुट पिंक स्टोन से आधुनिक रूप से बनाई जा रही नई इमारत में दीनी तालीम दी जाएगी। 30 मई 1866 में दारुल उलूम में दीनी तालीम छत्ता मस्जिद के अनार के पेड़ की छाव में आरंभ हुई थी। एक उस्ताद मुल्ला महमूद और एक शार्गिद महमूद हसन के साथ दीनी तालीम आरंभ होने के साथ आज दारुल उलूम दीनी तालीम देने में दुनियां की सबसे बड़ी इस्लामिक यूनिवर्सिटी अल-अजहर (मिस्र) के बाद विश्व में दूसरे नबंर की तालीमी दरसगाह है।
हालांकि वक्त के साथ-साथ दीनी तालीम के लिए तलबा की बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ तलबा (छात्रों) को नगर की मरकजी जामा मस्जिद और आदीनी मस्जिद में भी तालीम दी गई। लेकिन, वक्त की जरुरत को देखते हुए दारुल उलूम की इमारतों को 1920 तक तैयार कर लिया गया, जिसमें दारुल हदीस और छात्रावास की बुलंद इमारते बनाई गई। दारुल उलूम की मजलिस-ए-शूरा (वर्किंग कमेटी) ने संस्था में विभिन्न सहुलतों को ध्यान में रखते हुए 1982 में छात्रों की बढ़ती संख्या को देख आधुनिक तरीकों से छात्रावास बनाने को दूर तक फैली इमारतों को समेटकर एक स्थान पर ही सभी दरसगाहों (शैक्षिक कक्ष)को लाने के लिए वर्ष 2006 में संस्था में नई दरसगाहें और प्रशासनिक कार्यालयों एवं पुस्तकालय के लिए निर्माण कार्य आरंभ करने का निर्णय लिया। 2008 से निर्माण कार्य आरंभ किया जो कि 16 वर्षों से जारी है।
ताजमहल और लाल किले के दरवाजों की मिलती है झलक
संस्था की खुबसूरत इमारतों में दारुल उलूम की रशीदिया मस्जिद सफेद संगमरमर के पत्थर से बनकर तैयार हो चुकी है। जिसे देखने के लिए देश से ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। मस्जिद का एक गेट जहां दिल्ली के लाल किले जैसा दिखाई देता है। वहीं दूसरा गेट ताजमहल के गेट की झलत मिलती है। वही बनाए जा रहे नए छात्रावास और सात मंजिला लाइब्रेरी की इमारतें भी अपनी भव्यता के लिए अपने निर्माणकाल में ही आकर्षक दिख रही हैं।
एक-दो वर्षों में तलबा नई इमारत में तालीम करेंगे हासिल
देवबंद। दारुल उलूम मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बताया कि संस्था की नई इमारतों का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। बताया कि अगले दो वर्षों में दरसगाहें नई इमरतों में शिफ्ट करा दी जाएगी। बताया कि दारुल इकामा छात्रावास की इमारते तैयार हो चुकी है जबकि कुछ में अभी काम चल रहा है। जो तैयार हो गई उनमे तलबा को शिफ्ट करा दिया गया है।