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रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, 6.5% पर बरकरार, RBI गवर्नर का ऐलान

मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की आज मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में रेपो रेट (Repo Rate) यानी इंटरेस्ट रेट में बदलाव नहीं किया गया है। अभी रेपो रेट 6.50% पर बनी हुई है। RBI ने इससे पहले अप्रैल और जून में हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बना रहेगा, एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने इसका एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि बैंक मजबूत हैं। एनपीए (NPA) घटा है। कॉरपोरेट बैलेंश शीट मजबूत हुए हैं। भारत के मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल (macroeconomic fundamentals) बने हुए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में मजबूती बनी हुए है।


बता दें कि आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आठ अगस्त को शुरू हुई थी। यह बैठक 10 अगस्त् तक चली। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने इसमें लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी है। हाल में देश में खानेपीने की चीजों के दामों में काफी तेजी आई है। माना जा रहा है था कि महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई (RBI) लगातार तीसरी बार नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है।

RBI की बैठक के शुरु होने से पहले इस बात का अंदाजा  लगाया जा रहा था कि RBI नए स्टार्टअप और निवेशकों को थोड़ी राहत प्रदान करेगा। लेकिन रेपो रेट में कई परिवर्तन न करने के फैसले को  नए स्टार्टअप और निवेशकों को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।

तीसरी बार स्थिर रहा रेपो रेट

यह लगातार तीसरी बार है जब एमपीसी ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले अप्रैल और जून में हुई एमपीसी (MPC) की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को स्थिर रखा गया था। आज एक बार फिर से गर्वनर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि फिलहाल रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर ही स्थिर रहेगा। आपको बता दें कि 6 सदस्य वाली एमपीसी के सामने रेपो रेट के अलावा देश में बढ़ रही महंगाई, अर्थव्यवस्था इत्यादि जैसे तमाम मुद्दे थे जिसके मद्देनजर यह बैठक काफी महत्वपूर्ण थी।

ब्लूमबर्ग के एक सर्वे में सभी 42 इकनॉमिस्ट्स ने भी इस बात का अनुमान लगाया था कि आरबीआई की छह सदस्यीय एमपीसी रेपो रेट को 6.50 परसेंट पर बनाए रख सकती है। बता दें कि जून में खुदरा महंगाई 4.81 परसेंट रही जो इसका तीन महीने का उच्चतम स्तर है। हाल में चावल और गेहूं के साथ-साथ सब्जियों की कीमत में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। माना जा रहा है कि जुलाई में महंगाई की दर आरबीआई के टारगेट रेंज से ऊपर पहुंच गई है।

रेपो रेट में आखिरी बार कब हुआ था बदलाव

आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था। फरवरी में एमपीसी ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया था। फरवरी में रेपो रेट में हुए इस बदलाव को मिलाकर मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट में 250 आधार अंकों यानी 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

रेपो रेट बढ़ने से बढ़ जाती है लोन की EMI 
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की EMI घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा देखने को मिलता है. जब देश में महंगाई आरबीआई के तय दायरे से बाहर जाती है, तो फिर इसे कम करने के उद्देश्य से रेपो रेट में इजाफे का फैसला लिया जाता है.

महंगाई और रेपो रेट में क्या है कनेक्शन? 
भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई दर पर काबू पाने के लिए रेपो रेट बढ़ाता है और लोन महंगे हो जाते हैं. लोन महंगा होने से इकोनॉमी में कैश फ्लो में गिरावट आती है. इससे डिमांड में कमी आती है और महंगाई दर घट जाती है. रेपो रेट के अलावा एक होता है रिवर्स रेपो रेट. रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है, जिसके अनुसार रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को डिपॉजिट पर ब्याज देता है. जून में खुदरा महंगाई (Retail Inflation In June) दर 4.8 फीसदी रही थी.

RBI के दायरे से बाहर निकल सकती है महंगाई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ईकोरैप रिपोर्ट में टमाटर और प्याज की अगुवाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी के चलते खुदरा महंगाई जुलाई, 2023 में मासिक आधार पर 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 6.7 फीसदी के स्तर तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है. गौरतलब है कि बीते माह के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े 14 अगस्त को जारी किए जाएंगे. बता दें बीते एक महीने से ज्यादा समय से देश में टमाटर की कीमतें (Tomato Price) आसमान पर हैं.

भारत विश्व की 5वीं बड़ी आर्थिक शक्ति

आपको बता दें कि भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। अलगे कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ख्वाईश रखता है. वहीं विश्व की अर्थव्यवस्था में भारता का 15 फीसदी हिस्सी है। ऐसे में रेपो रेट मे बदलाव होना या न होना दोनों का ही असर भारत और विश्व की आर्थिक सेहत पर पड़ता है।

 

 

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