नई दिल्ली। फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर पाकिस्तान ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। हालांकि, जब दोस्त चीन ने सरकारी टेलिविजन पर पैगंबर हजरत मोहम्मद की तस्वीर दिखाई तो पाकिस्तान ने खामोशी अख्तियार कर ली है।
दरअसल, चीन के सरकारी चैनल चाइना सेंट्रल टेलिविजन (सीसीटीवी) ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद का कैरिकेचर प्रसारित किया था। उइगर ऐक्टिविस्ट अर्शलान हिदायत ने चाइनीज टीवी सीरीज की ये क्लिप ट्वीट की थी। इस क्लिप में तांग राजवंश के दरबार में एक अरब राजदूत को दिखाया गया है। इसमें अरब राजदूत पैगंबर मोहम्मद की एक पेंटिंग चीनी सम्राट को सौंपते हुए नजर आते हैं।
हालांकि, चीन की इस हरकत के खिलाफ पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पाकिस्तान तो पहले भी चीन में उइगर मुसलमानों के दमन और उन्हें प्रताड़ित किए जाने को लेकर मौन रहा है। चीन में टीवी पर पैगंबर मोहम्मद का इस तरह से कैरिकेचर दिखाए जाने से कई लोग हैरान हुए। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने सवाल किया कि क्या टीवी शो में पैगंबर मोहम्मद की पेंटिंग्स दिखाना ईशनिंदा नहीं है। एक यूजर ने ये भी सवाल किया कि क्या मुस्लिम दुनिया अब पैगंबर मोहम्मद के कैरिकेचर दिखाए जाने पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील नहीं करेगी।
हालांकि, पाकिस्तान का चीन के वीगर मुसलमानों को लेकर दोहरा रवैया पहले भी दिखता रहा है। पाकिस्तान कश्मीर से लेकर फिलीस्तीन के मुद्दे पर तो जोर-शोर से आवाज उठाता है लेकिन उइगर मुसलमानों की बात आते ही खामोशी अख्तियार कर लेता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कई बार चीन में उइगर मुसलमानों की दयनीय हालत को लेकर सवाल किया गया तो वो पूरी तरह से अनजान बन गए। कुछ इंटरव्यू में इमरान खान चीन को समर्थन देते हुए भी नजर आए और कहा कि हर देश को आतंकवाद से लड़ने का अधिकार है।
पाकिस्तान के उलट, भारत फ्रांस के साथ मजबूती से खड़ा हुआ है। यूरोप में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर भारत के विदेश सचिव हर्ष वी. श्रृंगला ने अपने जर्मन समकक्ष से भी चर्चा की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के विदेश सचिव ने जर्मनी में कहा कि फ्रांस में हुए आतंकी हमले लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दोनों के लिए ही खतरा हैं।
श्रृगंला ने जर्मन पक्ष से बातचीत में कहा, भारत आतंकी गतिविधियों की कड़ी निंदा करता है और फ्रांस के लोगों और राष्ट्रपति मैक्रों के साथ खड़ा है। फ्रांस में हुए आतंकी हमले हमारी इस बात को साबित करते हैं कि आतंक की कोई सीमा नहीं है। दुर्भाग्य से, आतंकवादी अपने मकसद में एक हो गए हैं जबकि हम पीड़ितों का एकजुट होना बाकी है। विडंबना ये है कि कुछ देश जो आतंक को बढ़ावा देते रहे हैं, वे अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति पाने के लिए खुद ही आतंक से पीड़ित होने का दावा कर रहे हैं. हमें इन कदमों को लेकर सतर्क रहना होगा।
भारत के विदेश सचिव ने कहा, मौजूदा वक्त में आतंकवाद का नेटवर्क इंटरनेट और जमीन दोनों पर मजबूत हुआ है इसलिए एक जैसा नजरिया रखने वाले देशों को इन नेटवर्क को खत्म करने के लिए साथ काम करने की जरूरत है ताकि आतंकवाद सफल ना होने पाए। इस तरह की आतंकी गतिविधियों का कोई भी स्पष्टीकरण नहीं हो सकता है। हमें इस बात का संतोष है कि दुनिया भी इस बात को महसूस कर रही है और हमारे साथ काम करने के लिए तैयार है।
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