डेस्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ओर से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी हमले की निंदा की गई. इस दौरान परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर पाकिस्तान भी इसमें शामिल हुआ, लेकिन इस आतंकी हमले की आलोचना करते समय भी पाक अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया. पाकिस्तान ने अपने मित्र चीन की मदद लेकर UNSC के बयान की भाषा को कमजोर करने की कोशिश की.
बता दें कि UNSC की ओर से पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर एक बयान जारी किया गया था. बयान में आतंकी हमले में शामिल अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर दिया गया, हालांकि इस बयान की भाषा साल 2019 में हुए पुलवामा हमले कीं निंदा के बयान से अधिक नरम थी. पुलवामा हमला होने पर UNSC ने सभी देशों से इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ एक्टिव होकर सहयोग देने का आह्वान किया था, हालांकि इस बार UNSC ने पहलगाम आंतकी हमले की निंदा कर केवल संबंधित अधिकारियों के साथ ही सहयोग करने की बात कही है.
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की ओर से प्रस्तावित इस बयान पर सहमित जताने से पहले कुछ बातचीत हुई थीं, जिसमें पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर बयान के शब्दों को हल्का करने का काम किया. बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के जाफर एक्सप्रेस ट्रेन में हुए हमले में और पहले हुए कई आतंकी हमलों की निंदा करते हुए UNSC ने सभी देशों से पीड़ित देश के साथ सक्रिय होकर सहयोग देने की बात कही थी न कि केवल संबंधित अधिकारियों के साथ, जो इस बार हुआ है.
पाकिस्तान समझ रहा होगा कि UNSC का संबंधित देशों के साथ सहयोग करने से भारत को पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने का मौका मिल जाएगा इसलिए उसने चीन के साथ मिलकर इस करतूत को अंजाम दिया. वहीं इससे पहले पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने अपने बयान में भारतीय जांच का समर्थन करने के बदले महलगाम हमले की तटस्थ और पारदर्शी जांच के लिए पूरी तरह तैयार होने का बात कही थी.
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