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पाकिस्तानी सेनाओं पर लगा आतंकवाद फैलाने का आरोप, वकीलों और नेताओं ने कही ये बात

इस्लामाबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में पाकिस्तान को दुनिया का खतरनाक देश बताया था और अब पाकिस्तान में वकीलों ने सेना की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि जनरलों ने दुनियाभर में आतंकवाद फैलाने के लिए अरबों डॉलर लिए थे. वार्षिक अस्मा जहांगीर सम्मेलन, जो 22-23 अक्टूबर तक लाहौर में आयोजित रहा. सम्मलेन के समापन के दिन कुछ राजनेताओं और वकीलों ने सेना पर आतंकवाद फैलाने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है. सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संबोधन के दौरान, पश्तून तहफुज मूवमेंट (PTM) के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद अली वज़ीर की रिहाई की मांग की.

23 अक्टूबर को पश्तून तहफुज मूवमेंट के अध्यक्ष मंजूर पश्तीन ने लोकतंत्र की हत्या के लिए पाकिस्तानी सेना को जिम्मेदार ठहराया, और आरोप लगाया कि सेना प्रमुख “राजा” हैं और वही देश में सभी आदेश जारी करते हैं. “ये अदालतें सेना के जनरल के इशारे पर फैसला देती हैं. उन्होंने पश्तूनों का खून बहाकर डॉलर लिए हैं. पश्तीन ने आगे कहा कि पूर्व पुलिस अधिकारी एसएसपी राव अनवर 440 हत्याओं को अंजाम देते हुए अभी भी मुक्त है, और विधायक अली वज़ीर अपने परिवार के 18 सदस्यों को आतंकवादियों द्वारा मारे जाने के बाद जेल में है. “क्या यही पाकिस्तान का न्याय है?”


पाकिस्तान के अशांत कबायली इलाके के एक विधायक अली वज़ीर को पिछले दिसंबर में एक रैली के दौरान देश की सेना की आलोचना करने वाले भाषण देने के बाद देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एंटी-आर्मी स्लोगन – ये जो दहशत गर्दी है इसके पीछे वर्दी है. यह पश्तून के भाषणों के दौरान पश्तूनों द्वारा नारा लगाया गया था.

विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संबोधन के दौरान पीटीएम सदस्यों ने सांसद अली वजीर को रिहा करने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने पश्तून समर्थकों को जेल जाने और पाकिस्तानी सेना के जनरल मुख्यालय पर विरोध करने की सलाह दी ताकि अली को रिहा किया जा सके. भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को हटाए जाने को लोकतंत्र की प्रगति करार दिया था. इस बीच, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस काजी फैज ने भी स्वीकार किया कि सिस्टम की विफलता जजों और जनरलों के कारण है.

जस्टिस फैज ने कहा, “न्यायाधीशों और जनरलों की नाम से आलोचना की जानी चाहिए, लेकिन न्यायपालिका और सेना को संस्थानों के रूप में बदनाम नहीं किया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से, हमारे व्यक्तिगत कृत्यों के कारण हमें भुगतना पड़ता है.” जानकारी के लिए बता दें कि अस्मा सम्मेलन का आयोजन एजीएचएस लीगल एड सेल द्वारा अस्मा जहांगीर फाउंडेशन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और पाकिस्तान बार काउंसिल के सहयोग से किया जाता है. यहां हर साल सम्मेलन में कई बुद्धिजीवियों, शीर्ष वकीलों, न्यायाधीशों, राजनेताओं और पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है.

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