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सूरीनाम और गुयाना के राष्ट्रपति ने लालबाग मेले में की खरीदारी, लोकनृत्य का उठाया लुत्फ

इंदौर (Indore)। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन (Pravasi Bhartiya Divas Convention) में शामिल होने और प्रदेश की रंग-बिरंगी संस्कृति और यहां की कलाकारी को देखने के लिए विदेश से आए राष्ट्राध्यक्ष व अन्य अधिकारी (President and other officials) इंदौर के लालबाग परिसर में जारी हृदय दृश्यम कला उत्सव (Hriday Visual Arts Festival) में पहुंचे। यहां उनका स्वागत ढोल की थाप और बुनकरों द्वारा तैयार दुपट्टा ओढ़ाकर किया गया। रविवार शाम को सूरीनाम और गुयाना के राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल के सदस्य और पनामा के मंत्री आदि इस आयोजन में पहुंचे।


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वैसे तो इन राष्ट्राध्यक्षों को लालबाग पैलेस देखना था, लेकिन अंतिम समय में बदली रूपरेखा इन्हें इतिहास के गलियारे के बजाए सांस्कृतिक धरोहर के समीप ले आई। इस उत्सव में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी़, गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के अलावा पनामा की जनाइना टेवानी मेनकोमो आदि पहुंचे। इस उत्सव में लगी प्रदर्शनी में जाकर किसी ने चरखा चलाया तो किसी ने हस्तशिल्प भी लिया।

सूरीनाम के विदेश मंत्री ने चलाया चरखा
सूरीनाम के राष्ट्रपति संतोखी पत्नी सहित प्रदर्शनी देखने पहुंचे तो खरीदारी का सिलसिला भी शुरू हो गया। उन्होंने भोपाल में होने वाली जरदोजी कलाकारी की हुई कृति और गौंड पेंटिंग किया हुआ कपड़े का बैग रागिनी फाउंडेशन के स्टाल से लिया। यहां उन्होंने केवल कलाकारी की बारीकियां ही नहीं जानी, बल्कि ली गई वस्तु की कीमत भी देने लगे पर विक्रेता ने उन्हें वह भेंट कर दिया।

इसी तरह गुयाना के राष्ट्रपति भी इंदौर की कलाकार रितु द्वारा तैयार पूजा की थाली और कलश भी अपने साथ लेकर गए। सूरीनाम के विदेश मंत्री अल्बर्ट रामदीन ने तो वहां चरखा भी चलाया। उन्होंने कहा कि वे पहली बार भारत आए और यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है।

लोकनृत्य व लोक संगीत का आनंद भी लिया
गुयाना के राष्ट्रपति ने मृगनयनी द्वारा लगाए गए स्टाल पर चंदेरी बुनकारी को देखा और वन विभाग की प्रदर्शनी में रखे बांस के उत्पाद के बारे में भी जानकारी ली। जनाइना के साथ मंत्रालय की मीता लाला, येसिल बुरील्लो, फ्लोर फ्लोरेस आदि भी मेले का आनंद लेने पहुंचे। मेहमानों के इस समूह ने न केवल वहां के उत्पादों को देखा-समझा, बल्कि वहां प्रस्तुत हुए लोकनृत्य व लोक संगीत का भी आनंद लिया। बुंदेलखंड का नौरता, निमाड़ का गणगौर नृत्य और गौण जनजाति का सैला नृत्य भी देखा। (एजेंसी, हि.स.)

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