जबलपुर। जबलपुर संभाग के दो बड़े ओहदे इस वक्त प्रभार के हवाले हैं। मार्च में आईजी के रिटायर होने के बाद अब तक किसी अधिकारी को यहां नहीं भेजा गया है। दूसरे हाल ही संभागायुक्त अभय वर्मा भी रिटायर हो गये हैं। अब ये कुर्सी का प्रभार भी अन्य अधिकारी को बना दिया गया है। ईओडब्ल्यू एसपी आरडी भारद्वाज को रिटायर हुए अर्सा बीत गया,लेकिन उनकी जगह कोई अधिकारी नहीं आया, बल्कि भोपाल से बैठे अधिकारी सारा कामकाज वहीं से देख रहे हैं। भोपाल में बैठे अधिकारियों को शायद पता नहीं है कि प्रभारी, जनहित के कामकाज पर कितने भारी साबित होते हैं।
ऐसे प्रभावित हो रहा कामकाज
जिन अधिकारियों को प्रभारी बनाया जाता है, वो उस क्षेत्र के काम प्रमुखता से देखते हैं,जिसका उन पर पूर्ण दायित्व होता है। प्रभारियों को उस क्षेत्र के अधिकारियों से वैसा संपर्क नहीं रहता, जैसा बेहतरीन कामकाज के लिए होना चाहिए। कई बार मीटिंग में भी प्रभारी अधिकारी की उपस्थिति मुश्किल हो जाती है,क्योंकि वे अपने क्षेत्र के कामों में ही व्यस्त रहते हैं। जनता के अलावा इन अफसरों के स्टाफ में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के छोटे-छोटे काम भी महीनों अटक जाते हैं।
नियुक्ति में देर क्यों,ये बड़ा सवाल
जबलपुर जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अनिल सिंह कुशवाह 31 मार्च 2025 को सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शासन ने छिंदवाड़ा रेंज के आईजी सचिन अतुलकर को जबलपुर रेंज का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। हाल ही संभागायुक्त अभय वर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को प्रभार सौंप दिया गया है। मजेदार ये है कि विभाग को साल भर पहले ही पता चल जाता है कि उनका कौन सा अधिकारी, कब रिटायर होगा। नए अधिकारी की नियुक्ति के लिए पर्याप्त समय मिलने के बाद भी कुर्सियों को किसी और अधिकारी के भरोसे पर छोडऩा, कितना सही है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकारी लंबे समय तक अपने प्रभार वाले दफ्तर नहीं जाते। हालाकि, जिन अधिकारियों को प्रभारी बनाया जाता है, वे हमेशा प्रभारी बनाया जाना पसंद नहीं करते, लेकिन चूंकि भोपाल से आदेश दिया जाता है इसलिए कागजों में तो पालन करना ही होता है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved