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पंजाब और राजस्थान में काम नहीं कर पाई राहुल की ‘जादू की झप्पी’, क्या कर्नाटक में होगा असर

नई दिल्ली । कहते हैं कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है लेकिन, कई मामलों में यह असफल प्रयासों की एक गंभीर याद बनकर ही रह जाती है। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में भी यही हाल है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ‘जादू की झप्पी’ पंजाब और राजस्थान (Punjab and Rajasthan) में तो काम नहीं कर पाई लेकिन, क्या कर्नाटक (Karnataka) में कमाल कर पाएगी? यह यक्ष प्रश्न है। सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि करीब 6 महीने बाद कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) और नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम सिद्धारमैया (siddaramaiah) के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जिसे सुधारना राहुल गांधी के लिए बड़ा टास्क है।

राजस्थान में चुनाव के ठीक बाद जब सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमे के बीच लड़ाई देखने को मिली तो राहुल गांधी नजर आए। उन्होंने अपनी ‘जादू की झप्पी’ के फॉर्मूले को अपनाने की कोशिश भी की लेकिन, काम नहीं आई। राजस्थान में अशोक गहलोत और पायलट के बीच कितनी कटुता है इसका सबूत हालिया घटनाक्रमों से पता लगता है। जब गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने ही वाले थे और पायलट के पास सीएम की कुर्सी जाने वाली थी तो बवाल हो गया। गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफे तक की धमकी दे दी। खुद गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलकर पायलट को सीएम न बनाने की वकालत कर डाली।


पंजाब में तो हाल इससे बुरा हुआ है। चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी के बीच सीएम कैंडिडेट को लेकर जंग तेज हो गई थी। राहुल गांधी को कई बार संभालने की कोशिश करनी पड़ी। आखिरकार चन्नी के सिर पर सीएम कैंडिडेट का ताज सजा। कांग्रेस खेमा बंट गया। नतीजन कांग्रेस पार्टी चुनाव में बुरी तरह हारी यहां तक कि चन्नी और सिद्धू अपनी सीट भी नहीं बचा पाए।

कर्नाटक में क्या होगा
अब कर्नाटक के बारे में बात करते हैं। यहां आगामी 6 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके अतिरिक्त इस वक्त राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी इसी राज्य में है। 1,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके राहुल गांधी समेत अन्य कांग्रेसी इस वक्त कर्नाटक में यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। निसंदेह यहां कांग्रेस का संगठन मजबूत है, जिससे भाजपा के पसीने छूट सकते हैं। कांग्रेस के पास भ्रष्टाचार वह हथियार है जिसका इस्तेमाल वह भाजपा के खिलाफ करना चाहती है।

लेकिन, यहां भी एक पेंच है। देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी के इस राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच अंदरूनी कलह किसी से छिपी नहीं है। राहुल गांधी दोनों के बीच इस तथ्य से अवगत हैं। जानते हैं कि दोनों मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।

अभी हाल ही में, राहुल गांधी ने यात्रा शुरू होने से पहले सिद्धारमैया के जन्मदिन पर राज्य का दौरा किया था और यह सुनिश्चित किया कि विवाद और प्रतिद्वंद्विता को समाप्त करने के लिए दोनों नेताओं ने एक साथ केक काटा। कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल द्वारा एक और तस्वीर जारी की गई जिसमें दोनों नेताओं को मुस्कुराते हुए राहुल गांधी की ओर देखते हुए हाथ पकड़े हुए दिखाया गया है।

डीके शिवकुमार के प्रोमो ने बढाया पारा
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस तस्वीर के जारी होने के कुछ ही पल बाद शिवकुमार का एक प्रोमो सामने आया, जिसमें उन्हें कांग्रेस के मुख्य नेता के रूप में दिखाया गया। जिसके बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार खेमे के बीच कलह बढ़ गया है। देखने वाली बात होगी कि क्या इसका असर कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा?

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