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रिसर्चर मार्गरेट मिशेल ने उठाए सवाल, तो गूगल ने कर दिया बर्खास्त

वाशिंगटन। सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी गूगल अभी अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की इथिक्स टीम की मशहूर हस्ती टिमनिट गेब्रू को हटाने के विवाद से उबरी भी नहीं है कि अब उसने इसी टीम से जुड़ी एक और उच्च पदस्थ अनुसंधानकर्ता को बर्खास्त कर दिया है। इससे कंपनी की वंचित तबकों की संवेदनशीलता के प्रति निष्ठा पर सवाल और गहराने का अंदेशा है। गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां अपने यूजर्स और आम कर्मचारियों से व्यवहार को लेकर पहले से कठघरे में हैं। अब अपने शीर्ष पदों पर मौजूद कर्मचारियों के प्रति उनका व्यवहार भी विवादों से घिरा रहा है।

अब हटाई गईं अनुसंधानकर्ता मार्गरेट मिशेल हैं। मिशेल ने अपनी बर्खास्तगी का एलान अपने ट्विटर हैंडल पर किया। उसके बाद गूगल ने मीडिया के लिए एक बयान जारी किया। इसमें कंपनी ने कहा कि मिशेल को हफ्ते भर तक चली जांच के बाद हटाया गया है। उन पर ये आरोप साबित हुआ कि वे कंपनी की इलेक्ट्रॉनिक फाइलों को कंपनी से बाहर ले गईं। यह कंपनी की आचार संहिता और सुरक्षा नीति का उल्लंघन है।


लेकिन कंपनी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च यूनिट के प्रति गूगल का व्यवहार पिछले दिसंबर से चर्चा में हैं। इन पर कई हलकों से सवाल उठाए गए हैं। दिसंबर में ब्लैक समुदाय से आने वाली जानी- मानी रिसर्चर गेब्रू को कंपनी ने बर्खास्त किया था। इस बर्खास्तगी पर गूगल के कर्मचारियों ने कड़ा विरोध जताया था। बता दें कि गूगल की एआई इथिक्स टीम का नेतृत्व दो साल तक मिशेल और गेब्रू के ही हाथ में था। मिशेल श्वेत समुदाय से आती हैं।

गेब्रू और मिशेल ने कंपनी के सामने ये मांग रखी थी कि गूगल की रिसर्च टीम में अलग- अलग समुदायों के अधिक रिसर्चरों को भर्ती किया जाए। दोनों ने इस पर भी चिंता जताई थी कि गूगल ने अपने उत्पादों से जुड़े अहम अनुसंधानों को सेंसर करने की शुरुआत कर दी है। गेब्रू ने बताया था कि उन्होंने अपने शोध के आधार पर एक पेपर लिखा था, जिसमें कहा गया था कि कंपनी के एआई के मिमिक्स लैंग्वेज से वंचित समुदाय आहत हो सकते हैं। गेब्रू के मुताबिक, कंपनी ने इस पेपर को प्रकाशित करने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने इस बारे में सवाल पूछे, तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

गूगल के एआई रिसर्च डायरेक्टर जौबिन घह्रामनी ने मीडिया से कहा कि कंपनी के लीगल नुमाइंदे ने शुक्रवार को मिशेल को उनकी बर्खास्तगी के बारे में सूचित कर दिया। उन्हें ये सूचना जल्दबाजी में बुलाई गई एक बैठक के दौरान दी गई, लेकिन उन्हें क्यों बर्खास्त किया जा रहा है, इस बारे में कोई कारण नहीं बताए गए। कंपनी के कर्मचारी एलेक्स हना ने एक ट्विट में कहा है कि अब कंपनी मिशेल और गेब्रू को बदनाम करने की मुहिम चला रही है। हना इन दोनों के साथ काम कर चुके हैं।

गूगल ने इस बारे में तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसके बयान में सिर्फ यह कहा गया कि मिशेल के आचरण की समीक्षा करने के बाद कंपनी इस नतीजे पर पहुंची है कि उन्होंने कंपनी की आचार संहिता और सुरक्षा नीति का कई बार उल्लंघन किया। इनमें प्राइवेट डेटा को दूसरे कर्मचारियों को बताना भी शामिल है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि गूगल ने रिसर्चर को इस वादे के साथ नौकरी पर रखा था कि उन्हें अनुसंधान में पूरी आजादी दी जाएगी। लेकिन जब अनुसंधानकर्ताओं ने टेक्नोलॉजी के नकारात्मक प्रभावों और कंपनी के उत्पादों के संभावित खराब असर के बारे में लिखना शुरू कर दिया, तो यह कंपनी से बर्दाश्त से बाहर हो गया।

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