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रिजर्व बैंक ने कहा- पीएमसी बैंक की स्थिति यस बैंक से अलग

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने कहा है कि पीएमसी बैंक की स्थिति यस बैंक से अलग है। रिजर्व बैंक ने दिल्ली हाई कोर्ट को हलफनामा दायर कर कहा है कि पीएमसी बैंक भविष्य वास्तविक रूप से अनिश्चित है और इसी की वजह से उसके लिए कोई निवेशक आगे नहीं आया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे पीएमसी बैंक के उन खाताधारकों की सूची दें जिन्हें पैसे की जरूरत है। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

रिजर्व बैंक ने कहा कि यस बैंक पर बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट लागू होता है जिसके तहत कोई बैंक इसके शेयरों को खरीदकर निवेश कर सकता है। लेकिन कोआपरेटिव बैंक में कोई बैंक इसके शेयरों को नहीं खरीद सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि यस बैंक के रिकंट्रक्शन में शेयरधारकों के मताधिकार उनके शेयर पर निर्भर है लेकिन कोआपरेटिव बैंक में एक सदस्य एक वोट का सिद्धांत लागू होता है। इसी की वजह से पीएमसी बैंक में कोई निवेश नहीं कर रहा है। कोर्ट ने रिजर्व बैंक को पीएमसी बैंक से पैसे की निकासी के बारे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने पीएमसी बैंक, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक देव सुधी ने कहा कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के पांच लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए। याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए पीएमसी बैंक और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं।

निवेशकों ने हाई कोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरूरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी। बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था। पीएमसी बैंक के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। देश भर में फैले पीएमसी के ब्रांचों के रखरखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और पीएमसी बैंक को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था। सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी। पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था। एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया। (एजेंसी, हि.स.)

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