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आर्थिक वृद्धि दर में और कटौती संभव, केंद्र और राज्‍यों पर बढ़ेगा कर्ज: विश्‍व बैंक

नई दिल्‍ली। विश्‍व बैंक ने कोविड-19 की महामारी के बीच भारत की आर्धिक वृ्द्धि दर के अपने पूर्वानुमान में और कटौती के संकेत दिए हैं। विश्व बैंक ने बुधवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के कुल कर्ज में अगले 2 साल तक भारी बढ़ोतरी होगी। ये बढ़ोतरी 2022-23 तक बढ़कर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के 89 फीसदी तक पहुंच जाएगा, जिसमें धीरे-धीरे गिरावट आने लगेगी।

विश्‍व बैंक ने जुलाई, 2020 के लिए जारी अपनी रिपोर्ट ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ में ये भी कहा है कि इस साल केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) बढ़कर जीडीपी के 6.6 फीसदी पर पहुंच जाएगा। हालांकि, अगले साल ये घाटा 5.5 फीसदी पर रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक यदि राज्य सरकारों के वित्तीय घाटे के अनुमान को भी मिला दिया जाए, तो वित्‍त वर्ष 2020-21 में कुल वित्तीय घाटा जीडीपी के 11 फीसदी के बराबर रहने की आशंका है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य, श्रम, भूमि, कौशल और वित्त जैसे प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार की जरूरत है। विश्व बैंक ने कहा कि सरकार की आय घटी है और नए खर्च बढ़े हैं, जिसकी वजह से अगले दो साल तक केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय घाटा और कर्ज में बेतहाशा बढ़ोतरी हो सकती है। गौरतलब है कि विश्व बैंक ने मई में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में इस वित्‍त वर्ष में 3.2 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वह अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट के अनुमान को इससे भी ज्यादा बढ़ा सकता है। इसकी वजह विश्‍व बैंक ने कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने की वजह से कई राज्यों में फिर से लॉकडाउन लागू किया जाना बताया है। (एजेंसी, हि.स.)

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